शिमला: कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष और सीएम पद पर दोबारा कब्जा जमा रहे पूर्व प्रधानमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह को संतुष्ट करने के लिए उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह पर सरकार में बड़ी जिम्मेदारी आ सकती है.
सुखविंद सिंह सुक्खू ने अपनी सीएम उम्मीदवारी के बारे में कहा कि प्रतिभा सिंह के प्रभुत्व वाले मंडी जिले में कांग्रेस को 10 सीटों में से सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल हुई है. हाईकमान कोई भी फैसला लेते समय इन बातों को मद्दे नजर रखेगा। सुक्खू ने कहा कि हमीरपुर सीट भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का निर्वाचन क्षेत्र है और अनुराग ठाकुर की संसदीय सीट है, वहाँ पर हमने शानदार प्रदर्शन कर इसे साबित किया है. उन्होंने कहा कि हाईकमान के पास सारी जानकारी है। उधर, सुखविंदर सिंह सुक्खू के करीबी लोगों से जानकारी मिली है कि उनके नाम को हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद के लिए मंजूरी दे दी है.
दरअसल, बीते 3 दहाइयों से हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का मतलब वीरभद्र सिंह से है. इस बार भी पार्टी ने उनके चहरे के दम पर चुनाव लड़ा था। ऐसे में उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष, खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए अव्वल मान रही हैं. उनके विधायक पुत्र विक्रमादित्य सिंह को भी दूसरी बार टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल की। हालांकि, न तो प्रतिभा सिंह के पास और न ही विक्रमादित्य के पास प्रशासनिक तजुर्बा है जो उनके खिलाफ जा सकता है.
कांग्रेस का अपने संसदीय क्षेत्र की 10 में से केवल 1 सीट जीतना भी वीरभद्र सिंह परिवार के लिए मुख्यमंत्री पद की राह में रोड़ा बन रहा है. इतना ही नहीं, प्रतिभा सिंह को मुख्यमंत्री बनाकर उन्हें अपनी मंडी लोकसभा सीट से भी इस्तीफा देना होगा, इसलिए उन्हें किसी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाना पड़ेगा.
पार्टी नहीं चाहती कि एक ही समय पर दो उपचुनाव हों. ऐसे में कांग्रेस का मानना है कि अगर उपचुनाव में उसके प्रदर्शन में किसी भी तरह की गिरावट आती है तो उसके एकतरफा जीत के दावे पर सवालिया निशाने पर आ जाएगा और जीत की रफ्तार धीमी हो जाएगी. इसलिए आलाकमान प्रतिभा सिंह की जगह सुक्खू को देखता है। हिमाचल में सबसे शक्तिशाली जाति राजपूत है, जिससे सुखविंदर सिंह सुक्खू का संबंध है.
साथ ही, वह प्रतिभा सिंह के दावे के खिलाफ हैं और खुद मुख्यमंत्री पद का दावा करते हैं. वह कांग्रेस अभियान समिति के चैयरमैन थे. एक विनम्र परिवार से आने वाले, वह एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष थे. राहुल गांधी के नज़दीकी है और राहुल ने ही उन्हें हिमाचल प्रदेश का पार्टी अध्यक्ष बनाया था. केंद्रीय नेतृत्व से उनका तर्क है कि राजपरिवार को हमेशा मौका देना लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है. बल्कि उनके जैसे साधारण परिवार से आने वाले कार्यकर्ताओं को भी एक बार मौका मिलना चाहिए।
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