मुंबई. शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है, उन्होंने मातोश्री में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए अमित शाह पर निशाना साधा और कहा कि गद्दारों की भीड़ से युद्ध नहीं जीता जा सकता लेकिन मुट्ठीभर वफादारों के मदद से युद्ध जीता जा सकता […]
मुंबई. शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्दव ठाकरे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा है, उन्होंने मातोश्री में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए अमित शाह पर निशाना साधा और कहा कि गद्दारों की भीड़ से युद्ध नहीं जीता जा सकता लेकिन मुट्ठीभर वफादारों के मदद से युद्ध जीता जा सकता है. उन्होंने आगे कहा, कल मुंबई में मंगलमूर्ति और अमंगलमूर्ति दोनों दिखे हैं और अब मेरे पास सिर्फ वफादार शिवसैनिक हैं. वफादारी नहीं बिक सकती चाहे जो जितने की भी बोली लगा ले.
मुंबई में गणपति का दर्शन करने पहुंचे अमित शाह ने सोमवार को महाराष्ट्र के भाजपा के नेताओं के साथ बैठक की और बीएमसी चुनाव में बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट को जीत हासिल करने के मंत्र दिए, इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि भाजपा और असली शिवसेना मिलकर बीएमसी चुनाव में जीत हासिल करेगी. अमित शाह ने भाजपा के नेताओं को कहा कि ठाकरे ने बीजेपी को धोखा दिया है और इस धोखाधड़ी को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए.
मुंबई के नगर निकाय ने शुक्रवार को ये बताया कि अक्टूबर की दशहरा रैली के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों ही गुट की ओर से आवेदन किए गए हैं, ऐसे में अब शिवजी पार्क में किसकी दशहरा रैली होगी ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा. दरअसल, ये रैली हमेशा से ही शिवसेना की विरासत रही है, यह सिलसिला बालासाहेब द्वारा शुरू किया गया था और अब उद्धव ठाकरे इसे आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन, जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद सेना में विभाजन के कारण शिवसेना तो खेमों में बट गई है और दोनों ही तरह शिवसैनिक ही हैं. दोनों का ही कहना है कि वो बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं. अब शिंदे महाराष्ट्र के मुखिया हैं और प्रदेश की सत्ता उनके हाथ में है, ऐसे में शिंदे कई मौकों पर खुद को असली शिवसैनिक भी कह चुके हैं.
ऐसे में इस बार दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क में महाभारत तो तय है. अब रैली के लिए शिंदे और उद्धव दोनों गुटों ने अपनी दावेदारी पेश की है, वहीं नगर निकाय के मुताबिक, पहला आवेदन 22 अगस्त को शिवसेना के ठाकरे गुट से आया था और दूसरा गणेश उत्सव से ठीक पहले शिंदे समूह की तरफ से आया था.’