राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तीन दिवसीय कार्यक्रम में मोहन भागवत ने संघ के हिंदुत्व, संविधान से लेकर मुसलमानों तक पर अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि हमारे हिंदुत्व का मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हम मुस्लिमों को स्वीकार ना करें.
नई दिल्ली. RSS के तीन दिवसीय कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण’ में सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ के बारे में फैली भ्रांतियों पर खुलकर अपनी बात रखी. संघ के मुस्लिमों के प्रति रुख पर उन्होंने कहा कि हम हिंदू राष्ट्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि हम मुसलमानों के खिलाफ हैं. भागवत ने कहा कि हम वसुधैव कुटुंबकम में यकीन करते हैं जिसमें सभी धर्म और पंत का स्थान है.
मोहन भागवत ने स्पष्ट किया कि हम हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं तो इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि हमें मुस्लिम नहीं चाहिए. जिस दिन यह कहा जाएगा कि हमें यहां मुस्लिन नहीं चाहिए तो उस दिन वो हिंदुत्व नहीं रहेगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हिंदुत्व का विचार आरएसएस की खोज नहीं है. यह पहले से चलता आया है. जब दुनिया सुख की खोज बाहर कर रही थी तब हमने अपने अंदर की. वहीं से हमारे पूर्वजों को अस्तित्व की एकता का मंत्र मिला.
मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू धर्म हिंदुओं का नहीं है बल्कि यह मानव मात्र के लिए है. संपूर्ण विश्व के लिए है. भारत से निकले सभी संप्रदायों का सामुहिक बोध हिंदुत्व है. संत महात्मा इन्हीं बातों का प्रचार प्रसार करते हैं. वे कन्वर्जन नहीं करते बल्कि इन विचारों का प्रसार करते हैं. भारत में रहने वाले सभी लोग एक पहचान वाले हैं. हम उस पहचान को हिंदू कहते हैं. देशभक्ति, पूर्वज गौरव और संस्कृति ही हिंदुत्व है. विचार करके देखिए यह सबके अंदर है. संविधान का पालन करना हम सबका कर्तव्य है. संविधान में भी बंधुत्व की बात है जो कि संघ का भी विचार है.