मुंबई : शुक्रवार (17 फरवरी) को निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को वास्तविक शिवसेना की मान्यता देते हुए शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह सौंप दिया. आयोग का ये फैसला आने के बाद उद्धव गुट में असंतोष होना स्वभाविक है. लेकिन निर्वाचन आयोग के इस फैसले पर शिवसेना नेता संजय राउत ने […]
मुंबई : शुक्रवार (17 फरवरी) को निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को वास्तविक शिवसेना की मान्यता देते हुए शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह सौंप दिया. आयोग का ये फैसला आने के बाद उद्धव गुट में असंतोष होना स्वभाविक है. लेकिन निर्वाचन आयोग के इस फैसले पर शिवसेना नेता संजय राउत ने बड़े आरोप मढ़ने शुरू कर दिए हैं.
दरअसल चुनाव आयोग का फैसला आते ही उद्धव गुट के नेता ने एक ट्वीट किया है.संजय राउत ने चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद ट्वीट कर कहा कि इस फैसले की स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी. भारत तानाशाही की ओर बढ़ रहा है जबकि नतीजे हमारे पक्ष में आने की बात कही गई थी. लेकिन अब चमत्कार हो गया है आप चाहें लड़ते रहो. संजय राउत आगे कहते हैं कि ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है. इस बारे में सभी को फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है.उन्होंने आगे कहा है कि उनकी पार्टी दरबार में नया चिह्न लेकर जाएगी. उनके शब्दों में, फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे, ये लोकतंत्र की हत्या है.
दरअसल शिवसेना के नाम और पार्टी के सिंबल पर हक को लेकर उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच पिछले कुछ समय से तनातनी चल रही थी. इसी बीच चुनाव आयोग का बड़ा फैसला सामने आया है. इस फैसले के बाद शिवसेना का नाम और पार्टी का निशान शिंदे गुट को मिल जाएगा. दरअसल EC ने पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया है. इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने एक समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि ये लोकतंत्र की जीत है. लोग हमसे जुड़े हुए हैं सत्य की जीत हुई है. ये बालासाहेब के विचारों की जीत हुई है. उन्होंने आगे EC के इस फैसले को लाखों कार्यकर्ताओं की जीत बताया है.
उद्धव ठाकरे गुट के नेता आनंद दुबे का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग का वह आदेश आया है, जिसका हमें अंदेशा था. वह आगे कहते हैं कि हम कहते रहे हैं कि हमें चुनाव आयोग पर भरोसा नहीं लेकिन जब मामला सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है. इस मामले में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है.