राजनीति

आजम की अखिलेश पर टिपण्णी, कहा- मिलने नहीं आए तो ज़रूर कोई वजह होगी, मैं हार्दिक पटेल नहीं हूं!

लखनऊ, 27 महीने बाद जेल से रिहा हुए समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक और पूर्व मंत्री आजम खान ने अखिलेश यादव पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव मिलने नहीं आए तो ज़रूर इसकी कोई वजह होगी, मैं हार्दिक पटेल नहीं हूँ. साथ ही, उन्होंने अपनों पर वार करते हुए कहा कि मेरे ऊपर दर्ज 90 फीसदी मुकदमों में मेहरबानियां तो अपनों की है, इस घर को तो घर के चिराग ने ही आग लगाई है.

अखिलेश से नाराज़गी पर क्या बोले आज़म

जेल से रिहा होने के बाद आज़म खान ने एक चैनल से बात करते हुए उनके और अखिलेश के इक्वेशन पर जवाब दिया है. जब उनसे पूछा गया कि रिहाई के बाद अखिलेश यादव मिलने के नहीं आए तो इसपर उन्होंने कहा कि अखिलेश जरूर व्यस्त होंगे, इसलिए मिलने नहीं आ पाए. साथ ही, अखिलेश से नाराज़गी पर आज़म खान ने कहा कि अखिलेश से वे क्यों नाराज़ होंगे. उन्होंने खुद को सपा का एक अदना कार्यकर्ता बताते हुए कहा कि वे बड़े लोगों पर टिपण्णी नहीं कर सकते हैं.

कभी भी हो सकता है मेरा एनकाउंटर- आजम खान

27 महीने के बाद जेल से बाहर आए आजम खान रामपुर अपने घर पहुंच चुके हैं, इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए एक ऐसा खुलासा किया, जसी सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब वे जेल में थे तो उनसे एक दरोगा उनका बयान लेने आया था, इस दौरान दारोगा ने उनसे कहा था बचकर रहें, जमानत मिलने के बाद अगर रामपुर आएं तो अंडरग्राउंड ही रहें तो बेहतर हैं आपका एनकाउंटर भी हो सकता है.

एक बार फिर हालात ने ली कुर्बानी- आजम खान

आजम खान ने आगे आपातकाल के दौरान पौने दो साल जेल में बिताने का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार फिर हालात ने उनसे कड़ी कुर्बानी ली है. उन्होंने कहा कि 40 साल का उनका सफर यूँ ही बेकार नहीं जाएगा, दिन दरख्तों को समझा जा रहा है कि ये सूख गए हैं लेकिन उनमें फिर बहार आएगी.

सीतापुर जेल से रिहा होने के बाद रामुपर पहुंचे आजम खान का रास्ते में कई जगहों पर स्वागत किया गया. स्वागत सत्कार के बीच जब वे घर पहुंचे तो घर पर भी उनके स्वागत के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ी थी. कार्यकर्ताओं को कार से ही संबोधित करते हुए आजम खान ने न्यायपालिका का भी शुक्रिया किया. आजम खान ने अपने जेल के अनुभव पर कहा कि उन्हें जेल में इस तरह रखा गया था जैसे अंग्रेजों के जमाने में उन कैदियों को रखा जाता था जिन्हें दो-तीन दिन में फांसी होने वाली होती थी. उनकी बैरक के पास ही फांसी घर भी था, उन्होंने कहा उन्होंने जेल में कैसे वक्त गुजारा है, ये वे ही जानते हैं. पत्नी और बच्चे के आने के बाद खुद को बहुत ही तन्हा महसूस किया.

 

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Aanchal Pandey

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