अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी, कहा- राफेल सौदे पर कांग्रेस की जानकारी गलत, सरकार से हमारी कोई डील नहीं

अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) के मुखिया अनिल अंबानी ने राफेल सौदे पर कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए राहुल गांधी को चिट्ठी लिखी है. अनिल अंबानी ने डसॉल्ट कंपनी के साथ ऑफसेट निर्यात/वर्क शेयर में रिलायंस की भूमिका पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि दुर्भावाना रखने वाले निहित स्वार्थी लोगों और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वियों द्वारा कांग्रेस को गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दी गई है.

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अनिल अंबानी ने राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी, कहा- राफेल सौदे पर कांग्रेस की जानकारी गलत, सरकार से हमारी कोई डील नहीं

Aanchal Pandey

  • August 21, 2018 4:48 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा राफेल डील पर बार-बार केंद्र सरकार को घेरे जाने के बीच अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (ADAG) के मुखिया अनिल अंबानी  ने राहुल गांधी को एक और पत्र लिखा है. अनिल अंबानी ने पत्र में कहा है कि उनके प्रति दुर्भावना रखने वाले कुछ निहित स्वार्थी तत्वों और कॉर्पोरेट प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस को गलत, भ्रामक और भटकाने वाली जानकारी दे रहे हैं. पत्र में कहा गया है कि भारत जो 36 राफेल जेट फ्रांस से खरीद रहा है उन विमानों के एक रुपये के मूल्य के भी कलपुर्जे का विनिर्माण उनके समूह द्वारा नहीं किया जाएगा.

अनिल अंबानी ने इससे पहले दिसंबर 2017 में इस मुद्दे पर गांधी को पहली बार पत्र लिखा था. इसके बाद भी राहुल गांधी इस मुद्दे पर लगातार सरकार को घेर रहे हैं. राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी सरकार राफेल विमानों की खरीद पर यूपीए सरकार में तय कीमत से तीन गुना ज्यादा मूल्य चुका रही है. उनका आरोप है कि सरकार ने इस सौदे में सिर्फ एक उद्योगपति को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से बदलाव किया है.

कंपनी ने अंबानी के पत्र के हवाले से कहा है कि रिलायंस को इस सौदे से जो हजारों करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाने की बात की जा रही है वह कुछ निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा प्रचारित सिर्फ कोरी कल्पना है. सीधे शब्दों में कहें तो रिलायंस का भारत सरकार के साथ कोई अनुबंध है ही नहीं. पत्र में कहा गया है कि लड़ाकू जेट की आपूर्ति करने वाली फ्रांसीसी कंपनी डसॉल्ट ने रिलायंस समूह से अनुबंध के तहत अपनी ऑफसेट अनिवार्यता को पूरा करने के लिए अनुबंध किया है. आपूर्तिकर्ता को उत्पाद के एक निश्चित प्रतिशत का विनिर्माण खरीद करने वाले देश में करना होता है. कई बार यह कार्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण द्वारा किया जाता है.

अनिल अंबानी ने पत्र में स्पष्ट किया है कि भारतीय रक्षा मंत्रालय से रिलायंस समूह को इन विमानों के संबंध में कोई भी ठेका नहीं मिला है. सभी 36 विमान शत प्रतिशत फ्रांस में ही तैयार किये जाएंगे. उनकी कंपनी की भूमिका सिर्फ ऑफसेट/निर्यात दायित्व तक ही सीमित हैं. इसमें भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन जैसे सरकारी संगठनों से लेकर 100 से अधिक की संख्या में छोटी मझोली कंपनियां शामिल होंगी. उन्होंने कहा कि उनके समूह ने राफेल विमान खरीदने की इच्छा जताए जाने से महीनों पहले ही रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में कदम रखने की घोषण दिसंबर 2014 से जनवरी 2015 के बीच कर दी थी. राहुल गांधी को याद दिलाते हुए अंबानी ने कहा कि ऑफसेट नीति कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने ही 2005 में लागू की गई थी.

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