RBI Repo Rate Cut: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई सरकार और आम लोगों के लिए आर्थिक मोर्चे पर अच्छी खबर आई है. गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा यानी मोनेटरी रिव्यू में रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती का फैसला किया. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली समिति ने आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये ऑनलाइन फंड ट्रांसफर पर चार्ज खत्म करने का भी फैसला लिया है.
नई दिल्ली. RBI Repo Rate Cut: मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी मौद्रिक नीति समीक्षा आम लोगों के लिए खुशखबरी लेकर आई है. गुरुवार को आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी कमी करने की घोषणा की, जिसका आम लोगों पर पॉजिटिव असर पड़ने की संभावना है. रिजर्व बैंक द्वारा रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती करने के बाद संभावना है कि 9 साल में पहली बार बैंक लोन सबसे सस्ता हो सकता है. रेपो रेट वह दर है, जिसपर सरकारी या प्राइवेट बैंकों को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से कर्ज मिलता है. रिजर्व बैंक ने आरटीजीएस और एनईएफटी के जरिये ऑनलाइन फंड ट्रांसफर पर चार्ज खत्म करने का भी फैसला किया है, जिससे आम ग्राहकों को बचत होगी.
रेपो रेट कम होने का असर ये होगा कि कॉमर्शियल बैंकों पर ब्याज दर घटाने का दबाव बढ़ेगा. ऐसे में अगर बैंक भी लोन पर लगने वाली ब्याज की दरों में 0.25 फीसदी की कटौती करते हैं तो निश्चित रूप से ग्राहकों को इतना फायदा मिलेगा और होम लोन, कार लोन समेत सभी तरह के लोन पर बचत होगी. वहीं पहले से लोन ले चुके लोगों को ईएमआई पर हर महीने कुछ बचत हो पाएगी.
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— ANI (@ANI) June 6, 2019
RBI has decided to do away with charges levied on RTGS and NEFT transactions, banks will be required to pass this benefit to their customers. pic.twitter.com/p9kcR6q6fZ
— ANI (@ANI) June 6, 2019
गुरुवार को भारतीय रिजर्व बैंक की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (monetary policy committee) ने वित्त वर्ष 2019-20 की दूसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा यानी मोनेटरी रिव्यू में रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती का फैसला किया. अब रेपो रेट 6.0 फीसदी से घटकर 5.75 फीसदी हो गया है. आरबीआई ने इससे पहले अप्रैल में भी रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के सदस्यों ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए जीडीपी विकास दर अनुमान को 7.2 फीसदी से घटाकर 7 फीसदी कर दिया गया है.
RBI cuts repo rate by 25 basis points, now at 5.75% from 6%. Reverse repo rate and bank rate adjusted at 5.50 and 6.0 per cent respectively. pic.twitter.com/greB9paac3
— ANI (@ANI) June 6, 2019
मालूम हो कि नई मौद्रिक नीति के तहत रिवर्स रेपो रेट (Reverse Repo Rate) घटकर 5.50 फीसदी, जबकि बैंक रेट (Bank Rate) 6 फीसदी हो गया है. रिजर्व बैंक ने सीआआर यानी कैश रिजर्व रेश्यों में किसी तरह की कटौती नहीं की है. उल्लेखनीय है कि रेपो रेट घटने से बैंकों को आरबीआई से कॉमर्शियल बैंकों को सस्ती फंडिंग मिल सकेगी. इसके बाद बैंक भी कम ब्याज दरों पर लोन ऑफर दे पाएंगे. रेपो रेट घटने से लिक्विडिटी बढ़ेगी यानी मार्केट में पैसा आएगा. ऐसे में सस्ती दरों पर लोगों को लोन मिलेगा. लोग इंडस्ट्री लोन लेंगे तो मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ेगी और फिर इसका जीडीपी पर सकारात्मतक प्रभाव पड़ेगा. जीडीपी विकास दर बढ़ने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की सराहना होगी.
GDP projection adjusted to 7.00 % from 7.2 % in earlier projection. pic.twitter.com/1i24rlyM1z
— ANI (@ANI) June 6, 2019
मालूम हो कि आर्थिक मोर्चे पर अक्सर पीएम नरेंद्र मोदी की पूर्ववर्ती सरकार की आलोचना हुई है, ऐसे में आरबीआई मौद्रिक नीति के ताजा फैसले से स्थिति कुछ ठीक होने की उम्मीद जताई जाने लगी है. मार्केट में कैश फ्लो बढ़ने से इंफ्रास्ट्रक्टर का काम बढ़ेगा और इससे रोजगार के अवसर पैदा होंगे. बेरोजगारी दर बढ़ने की समस्या से जुझ रही मोदी सरकार के लिए यह मरहम का काम कर सकता है. रीयल सेक्टर में जो मंदी है, उसमें सुधार की गुंजाइश बनेगी.