नहीं होगी उद्धव की दशहरा रैली! आठवले बोले- शिंदे को ही मिलना चाहिए मौका

मुंबई. इस समय महाराष्ट्र की सियासत में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में दशहरे पर आयोजित होने वाली शिवसेना की सालाना रैली को संबोधित करने का मौका नहीं मिल पाएगा? राज्य में जिस तरह के मौजूदा हालात हैं और बीएमसी की ओर से अब तक मंजूरी न […]

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नहीं होगी उद्धव की दशहरा रैली! आठवले बोले- शिंदे को ही मिलना चाहिए मौका

Aanchal Pandey

  • September 5, 2022 6:59 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई. इस समय महाराष्ट्र की सियासत में एक ही सवाल उठ रहा है कि क्या उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क में दशहरे पर आयोजित होने वाली शिवसेना की सालाना रैली को संबोधित करने का मौका नहीं मिल पाएगा? राज्य में जिस तरह के मौजूदा हालात हैं और बीएमसी की ओर से अब तक मंजूरी न मिल पाने की वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि एकनाथ शिंदे को ही दशहरा रैली को अनुमति दी जाएगी. इस बीच केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी उद्धव ठाकरे को चुभने वाली सलाह दे दी है, एक निजी कार्यक्रम में मुंबई पहुंचे आठवले ने कहा कि असली शिवसेना तो एकनाथ शिंदे की ही है, इसलिए रैली करने की अनुमति उन्हें ही दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि उद्धव ठाकरे को शिवाजी पार्क की बजाय कहीं और रैली कर लेनी चाहिए.

शिवाजी पार्क को लेकर हुई भिड़ंत

मुंबई के नगर निकाय ने शुक्रवार को ये बताया कि अक्टूबर की दशहरा रैली के लिए एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे दोनों ही गुट की ओर से आवेदन किए गए हैं, ऐसे में अब शिवजी पार्क में किसकी दशहरा रैली होगी ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा. दरअसल, ये रैली हमेशा से ही शिवसेना की विरासत रही है, यह सिलसिला बालासाहेब द्वारा शुरू किया गया था और अब उद्धव ठाकरे इसे आगे बढ़ा रहे हैं. लेकिन, जून में एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद सेना में विभाजन के कारण शिवसेना तो खेमों में बंट गई है और दोनों ही तरह शिवसैनिक ही हैं. दोनों का ही कहना है कि वो बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं. अब शिंदे महाराष्ट्र के मुखिया हैं और प्रदेश की सत्ता उनके हाथ में है, ऐसे में शिंदे कई मौकों पर खुद को असली शिवसैनिक भी कह चुके हैं.

ऐसे में इस बार दशहरा रैली के लिए शिवाजी पार्क में महाभारत तो तय है. अब रैली के लिए शिंदे और उद्धव दोनों गुटों ने अपनी दावेदारी पेश की है, वहीं नगर निकाय के मुताबिक, पहला आवेदन 22 अगस्त को शिवसेना के ठाकरे गुट से आया था और दूसरा गणेश उत्सव से ठीक पहले शिंदे समूह की तरफ से आया था.’

 

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