नई दिल्ली. अशोक गहलोत इस समय सुर्ख़ियों में हैं. राजस्थान में जो सियासी हलचल हुई, उससे सोनिया गाँधी उनसे ख़ासा नाराज़ हैं. अब इसी सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे, पहले तो सोनिया ने उन्हें बहुत देर तक मिलने का समय ही नहीं दिया लेकिन बाद में दोनों की मुलाकात […]
नई दिल्ली. अशोक गहलोत इस समय सुर्ख़ियों में हैं. राजस्थान में जो सियासी हलचल हुई, उससे सोनिया गाँधी उनसे ख़ासा नाराज़ हैं. अब इसी सियासी संकट के बीच अशोक गहलोत सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे, पहले तो सोनिया ने उन्हें बहुत देर तक मिलने का समय ही नहीं दिया लेकिन बाद में दोनों की मुलाकात हुई. करीब डेढ़ घंटे तक सोनिया गाँधी और अशोक गहलोत के बीच बातचीत चली. इस बैठक के बाद गहलोत ने ऐलान कर दिया कि वे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि राजस्थान में जो कुछ हुआ उससे वो बहुत आहत हैं इसलिए उन्होंने सोनिया गाँधी से माफ़ी मांगी है.
अशोक गहलोत सोनिया गाँधी से मिलने के लिए बाकायदा माफीनामा लेकर गए थे, लेकिन सोनिया मानने के मूड में नज़र नहीं आ रही है, जिसकी वजह से अब अशोक गहलोत ने अध्यक्ष पद से अपना नाम वापस ले लिया है. मुलाकात के बाद उन्होंने कहा कि वो इंदिरा गांधी के कायर्काल से कांग्रेस के साथ हैं, और उन्होंने इन पचास सालों में बहुत ही वफादारी से काम दिया है. उन्होंने कहा कि आज तक उन्हें जो भी ज़िम्मेदारी दी गई वो उन्होंने बहुत ही ईमानदारी से निभाई है और आगे भी निभाएंगे.
अशोक गहलोत ने कहा कि जब उन्होंने राहुल गाँधी से मुलाकात की और उन्होंने चुनाव लड़ने से मना कर दिया तब उन्होंने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ना तय किया. गांधी ने जब चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया, जब मैंने उनसे मुलाकात के बाद तय किया था कि अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ूंगा, लेकिन बीते दिनों राजस्थान में जो कुछ भी हुआ उससे देश भर में मेरी छवि धूमिल हुई. मेरी ऐसी छवि बन गई कि मैं राजस्थान का मुख्यमंत्री ही बना रहना चाहता हूँ, मुझे कुर्सी से बहुत मोह है. लेकिन असल में ऐसा नहीं है, असल में मैं कांग्रेस का एक वफादार सिपाही हूँ और पार्टी के लिए कुछ भी कर सकता हूँ. बीते दिन जो कुछ भी हुआ उससे मैं बहुत आहत हूँ.
दरअसल, अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष पद के ऐलान के बाद राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलने की चर्चा थी, नए मुख्यमंत्री के रूप में सचिन पायलट का नाम प्रखरता से लिया जा रहा था. इसके बाद गहलोत गुट के विधायक खुलकर पार्टी आलाकमान के खिलाफ आ गए थे, मुख्यमंत्री के चुनाव के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को पर्यवेक्षक बनाया गया था और वो विधायक दल की बैठक करने वाले थे, लेकिन विधायक बैठक में न शामिल होकर स्पीकर सीपी जोशी के घर पहुँच गए और वहां इस्तीफ़ा दे दिया. इसपर जब माकन ने गहलोत से बात की तो उन्होंने कहा कि अब उनके बस में कुछ नहीं है.
राजस्थान का हाई वोल्टेज ड्रामा तो अब भी जारी है. एक तरफ, जहाँ विधायक बोल रहे हैं कि उन्हें हाईकमान का हर फैसला मंजूर है तो वहीं दूसरी ओर गहलोत सोनिया से माफ़ी मांग रहे हैं. अब राजस्थान की कुर्सी को लेकर भी संशय बना हुआ है. इस संबंध में जब गहलोत से पूछा गया कि क्या वो सीएम की कुर्सी पर बने रहेंगे, तो इसपर उन्होंने कहा कि इसका फैसला तो सोनिया गाँधी ही लेंगी.
वहीं, आज अशोक गहलोत के बाद अब सचिन पायलट भी सोनिया गाँधी से मुलाकात करने वाले हैं. इस मुलाकात के बाद राजस्थान पर स्थिति और साफ़ हो जाएगी.