यूपी। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में स्थानीय प्राधिकरण निर्वाचन क्षेत्र के चुनाव के बाद अब परिणाम का इंतजार है. 27 सीटों के लिए वोटों की गिनती मंगलवार सुबह 8 बजे से शुरू हो गई है. मतगणना के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए 27 जिलों में सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का जलवा कायम है. विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को दो सीटें मिली हैं, वहीं विधान परिषद चुनाव में भी प्रतापगढ़ की सीट पर जीत मिली है. प्रतापगढ़ एमएलसी चुनाव में जनसत्ता दल के लोकतांत्रिक उम्मीदवार अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल ने 1721 मत पाकर 1107 वोटों से जीत हासिल की. उनके निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी हरि प्रताप सिंह को 614 मत मिले है. तीसरे स्थान पर रहे समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार विजय यादव को 380 वोट मिले. बता दें कि अक्षय प्रताप सिंह ने यह सीट लगातार पांचवीं बार जीती है.
वहीं उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कानपुर-फतेहपुर स्थानीय निकाय चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अविनाश सिंह ने बड़ी जीत दर्ज की है. अविनाश सिंह को एकतरफा पहली वरीयता में ही 4619 वोट मिले हैं.
उन्होंने समाजवादी पार्टी के निवर्तमान उम्मीदवार को हराया. समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार दिलीप सिंह उर्फ कल्लू को सिर्फ 299 वोट मिले. अविनाश सिंह की जीत के बाद उनके समर्थकों ने जमकर जश्न मनाया है.
भारतीय जनता पार्टी युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रंशुदत्त द्विवेदी ने इटावा-फर्रुखाबाद स्थानीय प्राधिकार विधान परिषद सदस्य चुनाव में जीत हासिल की है. मतगणना के बाद जिला प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी प्राणशुदत्त द्विवेदी ने 3482 मतों से चुनाव जीता है.
एमएलसी चुनावों में वोटिंग और काउंटिंग दोनों की प्रक्रिया बाकी चुनावों से अलग होती है. विधान परिषद चुनावों में वरीयता क्रम में एक से अधिक उम्मीदवारों को वोट देने का विकल्प होता है. इसलिए स्थानीय निकाय की 27 एमएलसी सीटों के लिए वोटों की गिनती अधिमान्य मतों के आधार पर की होती है. कोटा का फैसला पहली वरीयता के वोट के आधार पर होगा. कोटे के निर्धारण में वैध मतों की संख्या को दो से भाग देने पर एक अंक जोड़ा जाएगा, यानी कि 100 वैध मतों का कोटा 51 निर्धारित किया जाएगा. जो उम्मीदवार पहली गिनती में 51 या उससे अधिक मत प्राप्त करेगा उसे ही विजेता घोषित किया जाएगा.
यदि पहली वरीयता के वोटों में किसी भी उम्मीदवार को कोटा वोट नहीं मिलता है, तो दूसरी और तीसरी वरीयता के वोटों की गिनती की जाती है. इनकी गिनती तब तक की जाती है जब तक किसी उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक वोट नहीं मिल जाते. यदि शेष दो उम्मीदवारों में से किसी को भी कोटे के अनुसार आवश्यक वोट नहीं मिलते हैं, तो चुनाव आयोग अधिक वोट पाने वाले को विजेता घोषित करता है.
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