बाढ़ के डर ने रायसीना हिल्स को बनाया था सत्ता का केंद्र, जानिए कैसे पड़ी राष्ट्रपति भवन की नींव

नई दिल्ली : रायसीना हिल्स जो आज सत्ता का केंद्र है. अगर कहा जाए कि भारत सरकार यहीं बस्ती है तो कोई गलत बात नहीं होगी. दिल्ली का वो इलाका है जहां भारत की सबसे महत्वपूर्ण इमारतें बसती हैं. इन इमारतों में राष्ट्रपति भवन (भारत के राष्ट्रपति का निवास) और प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कई स्थल […]

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बाढ़ के डर ने रायसीना हिल्स को बनाया था सत्ता का केंद्र, जानिए कैसे पड़ी राष्ट्रपति भवन की नींव

Riya Kumari

  • July 21, 2022 4:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : रायसीना हिल्स जो आज सत्ता का केंद्र है. अगर कहा जाए कि भारत सरकार यहीं बस्ती है तो कोई गलत बात नहीं होगी. दिल्ली का वो इलाका है जहां भारत की सबसे महत्वपूर्ण इमारतें बसती हैं. इन इमारतों में राष्ट्रपति भवन (भारत के राष्ट्रपति का निवास) और प्रधानमंत्री कार्यालय समेत कई स्थल शामिल हैं. इतना ही नहीं, यह देश की सबसे महत्वपूर्ण इमारतों से भी घिरा हुआ है जिसमें संसद भवन, राजपथ और इंडिया गेट का नाम शामिल हैं. पर क्या आप जानते हैं कि आखिर इस जगह को इसका नाम और ये मुकाम कैसे मिला? इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है. आइये आज आपको कई दिलचस्प किस्से और फैक्ट्स बताते हैं देश के सबसे महत्वपूर्ण स्थल के बारे में.

रायसीना में ही क्यों हैं महत्वपूर्ण इमारतें?

बात उस समय की है जब ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटयंस को नई दिल्ली के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था. इसके साथ वह दिल्ली टाउन प्लानिंग कमिटी का हिस्सा भी थे, जिसका काम ‘वॉयसरॉय हाउस’ के लिए जगह और लेआउट तैयार करना था. अपना काम करते समय एडविन लुटयंस और उनके साथियों को इस बात का पता चला कि दिल्ली के उत्तर में स्थित किंग्सवे कैंप का इलाका यमुना नदी के पास में है जिस वजह से वहाँ सबसे ज़्यादा बाढ़ का खतरा है.

इसलिए रायसीना हिल्स को ‘वॉयसरॉय हाउस’ बनाने के लिए चुना गया, क्योंकि यह शहर के दक्षिणी छोर पर था. यहां खुली जमीन के साथ-साथ ड्रेनेज सिस्टम भी बढ़िया था. इसी कड़ी में साल 1912 में रायसीना पर ‘वॉयसरॉय हाउस’ बनाने को लेकर सहमति बन गई. इस जगह के निर्माण कार्य में कुल 4 साल का समय लगा. लेकिन दूसरे विश्व युद्ध की वजह से इसे बनाने में कुल 19 वर्ष लग गए. आज़ादी के बाद ‘वॉयसरॉय हाउस’ को राष्ट्रपति भवन के रूप में बदल दिया गया.

 

नाम के पीछे की कहानी

रायसीना हिल्स के नाम के पीछे की कहानी की बात करें तो यह काफी दिलचस्प किस्सा है. बात है साल 1912 की जब तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने रायसीना हिल्स पर ‘वॉयसरॉय हाउस’ बनाने की तैयारी शुरू की. दरअसल इस जगह पर पहले से ही 300 परिवारों का बसेरा था जो रायसीना और माल्चा गांवों के निवासी थे. साल 1894 के जमीन अधिग्रहण कानून के तहत इन सभी परिवारों की 4000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया. जिसके बाद से इस जगह को रायसीना हिल्स के तौर पर जाना जाने लगा.

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