New Delhi: राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 में पहले के चुनावों से ज्यादा मुखर और अनुभवी दिखे. 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली कांग्रेस पार्टी को करारी हार के बाद राहुल गांधी जमीन पर उतरे और पूरा देश भ्रमण किया. जिसका उन्हें लोकसभा चुनावों में भी जमकर फायदा हुआ. कांग्रेस ने पिछले लोकसभा चुनाव में 52 सीटें जीती थी, जिसकी संख्या इस लोकसभा चुनाव में बढ़कर लगभग दोगुनी हो गई है. इस चुनाव में स्वयं राहुल गांधी को फायदा हुआ. 2019 में राहुल गांधी ने वायनाड और अमेठी सीट से पर्चा भरा था, जिसमें उन्हें सिर्फ वायनाड से जीत मिल पाई थी और वे स्मृति ईरानी से अमेठी में हार गए थे. इस बार भी राहुल गांधी ने दो लोकसभा वायनाड और रायबरेली से पर्चा भरा था और इस बार वो दोनों सीटे वायनाड और रायबरेली सीटें जीत गए और अमेठी की भी सीट कांग्रेस के ही खाते में आई जहां किशोरीलाल शर्मा ने स्मृति ईरानी को हराकर जीत दर्ज की. अब राहुल गांधी दो सीटें जीत तो गए हैं लेकिन दोनों को रख नही सकते. राहुल गांधी को वायनाड या रायबरेली में से किसी एक सीट को छोड़ना होगा. राहुल गांधी ने केरल के मल्लपुरम में कहा था- मैं तो दोनों सीट से लोकसभा सदस्य बना रहना चाहता हूं.
कांग्रेस की कार्यशैली को जानने वालों को पता है कि पार्टी जिस तरह अपने निर्णय लेती है या जो काम करने का तरीका है, उससे किसी भी तरह का कोई संदेह नही है कि राहुल गांधी रायबरेली छोड़ेंगे. राहुल गांधी के पास रायबरेली सीट रखने के कई कारण हैं. जानते हैं.
सत्ता पाने के लिए उत्तर प्रदेश जरूरी
ऐसा माना जाता है कि दिल्ली की सत्ता उसे ही मिल सकती है जिसकी पकड़ उत्तर प्रदेश पर मजबूत होगी. चाहे वो वर्तमान प्रधानमंत्री हों या होने वाले प्रधानमंत्री समय तो उत्तर प्रदेश में ही बिताना पड़ेगा. उत्तर प्रदेश देश का सबसे अधिक 80 सीटों वाला राज्य है. इसलिए सभी पार्टियों की इस पर नजर हमेशा बनी रहती है. उत्तर प्रदेश ही देश की राजनीति की दिशा और दशा तय करने वाला राज्य है. इस बार उत्तर प्रदेश ने बीजेपी का साथ छोड़ा तो मोदी सरकार बैकफुट पर आ गई. किसी तरह जोड़ तोड़ कर सरकार बन पाई. तो इसलिए कांग्रेस आलाकमान चाहेगा कि राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में ही रहकर राजनीति करें, और वे वायनाड को छोडकर रायबरेली संभालें.
गांधी परिवार और रायबरेली का रिश्ता
वायनाड ने जरूर राहुल गांधी को उस वक्त संसद में पहुंचाया था जब वो अपने ही गढ़ अमेठी में हार गए थे. रायबरेली सीट गांधी परिवार के लिए बहुत खास है क्योंकि गांधी परिवार की तीन पीड़ियां इस सीट से चुनाव जीतकर संसद जाती रही हैं. इस सीट से फिरोज गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, सोनिया गांधी से चुनाव जीते थे. और अब राहुल गांधी इस सीट से चुनकर संसद गए हैं. राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी जब चुनाव प्रचार के दौरान रायबरेली पहुंची तो उन्होंने लोगों से भावुक कर देनी अपील की और कहा- मैं रायबरेली को अपना बेटा सौंप रही हूं…. ये सब चीजें राहुल गांधी के पक्ष में गईं. और उन्होंने तीन लाख 90 हजार वोटों के अंतर से चुनाव में जीत दर्ज की.
रायबरेली के मुकाबले वायनाड को जीतना आसान
वायनाड में कांग्रेस का संगठन ज्यादा मजबूत है. इस सीट कांग्रेस का कोई साधारण कार्यकर्ता भी चुनाव लड़कर जीत सकता है. साल 2009 से 2019 तक कांग्रेस नेता एमआई शनवास वायनाड से सांसद रहे थे. और इसके राहुल गांधी ने भी इस सीट से दो बार चुनाव जीता. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी किसी भी प्रत्याशी के सहारे इस सीट को जीत सकती है लेकिन वायनाड की जनता में कोई गलत संदेश ना जाए तो इसलिए आलाकमान का मानना है कि प्रियंका गांधी इस सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. यदि वे इस सीट से लड़ती हैं तो जनता को लगेगा की वायनाड गांधी परिवार के लिए महत्वपूर्ण सीट है. लेकिन वायनाड की तुलना में रायबरेली सीट कांग्रेस के लिए जीतना ज्यादा कठिन है क्योंकि रायबरेली के बगल की सीट अमेठी से ही राहुल गांधी पिछली बार चुनाव हार गए थे.