Rahul Gandhi Resigns: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस तरह कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी से लेकर इस्तीफा और अमेठी से वायनाड तक के सफर का अंजाम आ गया है. राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद अब सीनियर नेता मोतीलाल वोरा को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया है. हालांकि, कांग्रेस ने आधिकारिक रूप से राहुल गांधी के इस्तीफे को मंजूरी नहीं दी है और ट्विटर में राहुल गांधी के साथ कांग्रेस अध्यक्ष पद ही लिखा है. इस बीच राहुल गांधी के राजनीतिक करियर के बारे में बताना जरूरी है कि किस तरह गांधी-नेहरू परिवार से आने और वंशवाद का आरोप झेलने के बावजूद राहुल गांधी ने जनता के बीच जाकर और संसदीय चुनाव लड़ने कै फैसला किया और कांग्रेस महासचिव, उपाध्यक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष बने. लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद राहुल ने इस्तीफे की पेशकश की और बताया कि अब गैर गांधी-नेहरू परिवार के किसी नेता को कांग्रेस की जिम्मेदारी देनी चाहिए. जानें राहुल गांधी का अमेठी से वायनाड तक का सफर और इस बीच कांग्रेस में उनकी तरह-तरह की भूमिका और संघर्ष की पूरी कहानी.
नई दिल्ली. Rahul Gandhi Resigns: भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के सबसे प्रमुख चेहरे राहुल गांधी ने आज बुधवार 3 जुलाई 2019 को ट्विटर पर अपने औपचारिक इस्तीफे की घोषणा करने के साथ ही 4 पन्नों का त्यागपत्र पोस्ट किया. रेजिग्नेशन लेटर में उन्होंने लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस पार्टी की हार की जिम्मेवारी लेने के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में डेढ़ साल से ज्यादा समय तक पार्टी की जिम्मेदारी देने के लिए उन्होंने पार्टी और इसके नेताओं का शुक्रिया अदा किया. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में यूपी की अमेठी सीट पर राहुल गांधी बीजेपी की स्मृति इरानी से हार गए थे. हालांकि उन्होंने दक्षिण भारत में पार्टी के विस्तार से मकसद से लड़े केरल की वायनाड सीट पर जीत दर्ज की. 16 दिसंबर 2017 को कांग्रेस अध्यक्ष का पद ग्रहण करने वाले 49 वर्षीय राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली है. कांग्रेस अध्यक्ष बनने से पहले राहुल गांधी 2013 से 2017 तक करीब 5 साल कांग्रेस उपाध्यक्ष रहे. इस दौरान कांग्रेस की कमान राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के पास थी.
साल 2017 में सोनिया गांधी के लगातार बीमार रहने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी की ताजपोशी हुई. कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी के पास पार्टी की बुनियाद मजबूत करने के साथ ही मौजूदा स्थिति बेहतर करने और लोकसभा चुनाव 2019 में अच्छा परफॉर्म की बड़ी जिम्मेदारियां थीं. यहां एक बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है कि राहुल गांधी के राजनीतिक करियर की शुरुआत 15 साल पहले ही हो गई थी, जब उन्होंने कांग्रेस की परंपरागत यूपी स्थित अमेठी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. अमेठी सीट से ही राहुल गांधी के पिता दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी भी सांसद नियुक्त हुए थे. अमेठी लोकसभा सीट पर राहुल गांधी ने साल 2004, 2009 और 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. हालांकि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति इरानी से हार गए.
It is an honour for me to serve the Congress Party, whose values and ideals have served as the lifeblood of our beautiful nation.
I owe the country and my organisation a debt of tremendous gratitude and love.
Jai Hind 🇮🇳 pic.twitter.com/WWGYt5YG4V
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 3, 2019
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी पर जिम्मेदारियों का बोझ था. जहां एक तरह साल 2014 के लोकसभा चुनाव में हार के बाद एक-एक करके पार्टी के सीनियर नेता या तो पार्टी से इस्तीफा दे रहे थे या जिम्मेदारी लेने से घबरा रहे थे, वहीं एक के बाद एक कांग्रेस शासित राज्यों में बीजेपी अपनी स्थिति मजबूत करते हुए वहां की सत्ता पर कब्जा कर रही थी. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के घटक दलों में भी कांग्रेस की छवि धुमिल हो रही थी, ऐसे समय में कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपी गई. साल 200 के बाद से ही राजनीति में सक्रिय राहुल गांधी सांसद, कांग्रेस महासचिव, उपाध्यक्ष के रूप में काफी मंज चुके थे, जिसके बाद पार्टी और घटक दलों के नेताओं में राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने पर सहमति बनी.
कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ने पार्टी की स्थिति बेहतर करने की पूरी कोशिश की. उन्होंने पार्टी के अंदर प्रमुख पदों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट समेत कई युवाओं को मौका दिया और कांग्रेस की दिशा-दशा बेहतर करने के लिए कई बड़े फैसले लिए. हालांकि कई मौकों पर राहुल गांधी के फैसले गलत साबित हुए जिसके लिए उनकी पार्टी के अंदर और बाहर आलोचना भी हुई. लेकिन राहुल गांधी इन आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए अथक मेहनत करते रहे. इसका नतीजा दिखा साल 2018 में तीन हिंदी भाषी बड़े राज्य में कांग्रेस की जीत के बाद. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी को मात देने वाली कांग्रेस पार्टी के बारे में खबरें चलने लगी कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करेगी. लेकिन हुआ इसके विपरीत, जब कांग्रेस को महज 52 सीटें मिलीं. हालांकि साल 2014 की अपेक्षा कांग्रेस की सीटों में 8 सीट का इजाफा हुआ.
यहां एक बात का जिक्र करना बेहद जरूरी है कि भले ही राहुल गांधी के ऊपर वंशवाद के आरोप लगते हों, लेकिन राहुल गांधी आलोचकों का कड़ा जवाब देते हुए संसदीय चुनाव लड़कर संसद पहुंचे. उन्हें विरासत में भले ही राजनीति की कश्ती पर सवार होने का मौका मिला हो, लेकिन पतवार हमेशा राहुल गांधी ने अपनी मेहनत से चलाई है अमेठी के लोगों का दिल जीतकर लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की. राहुल गांधी को गांधी-नेहरु परिवार के बाकी प्रमुख नेताओं वाला प्रिविलेज नहीं मिला. दरअसल, राहुल गांधी के परदादा जवाहर लाल नेहरू हों या दादी इंदिया गांधी और पिता राजीव गांधी, नेहरु-गांधी परिवार के ये प्रमुख नेता पहले प्रधानमंत्री बने और फिर संसदीय चुनाव लड़ा. लेकिन राहुल गांधी ने इस परंपरा से अलग पहले संसदीय चुनाव लड़ा और फिर पार्टी में अहम पदों पर रहे.
यहां बता हूं कि राहुल गांधी के पास साल 2004-2014 के बीच राहुल गांधी के पास कई ऐसे मौके आए, जब वह प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन उन्होंने हमेशा पीएम बनने से इनकार किया और मनमोहन सिंह की पीएम के रूप में स्वीकार्यता का समर्थन किया. राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस की नैया पार कराने की पूरी कोशिश की और संसद से लेकर सड़क तक पार्टी के अजेंडे को लोगों के सामने रखने के साथ ही बीजेपी-आरएसएस और नरेंद्र मोदी सरकार को जमकर घेरा. लेकिन चूंकि जनता मालिक है, इसलिए साल 2019 के चुनावी समर में जनता ने राहुल गांधी की कांग्रेस की बजाय बीजेपी के नरेंद्र मोदी पर गहरा विश्वास जताया और भारी बहुमत देकर फिर से सत्ता में काबिज कराने में महती भूमिका निभाई.
लोकसभा चुनाव 2019 में हार के बाद ही राहुल गांधी ने इस्तीफे की पेशकश पार्टी के सीनियर नेताओं के सामने कर दी थी, लेकिन पार्टी नेताओं ने उनके इस्तीफे को कबूल नहीं किया. हालांकि, राहुल गांधी अपने फैसले पर अड़े रहे और साफ-साफ कहा कि मैं तो कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ूंगा ही, साथ ही अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा या गांधी परिवार के किसी भी सदस्य को कांग्रेस अध्यक्ष पद सौंपने के फैसले का समर्थन नहीं करूंगा. अब चूंकि राहुल गांधी ने औपचारिक तौर पर इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में जल्द नए कांग्रेस अध्यक्ष के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया शुरू होने वाली है. इस बीच कांग्रेस ने पार्टी के सीनियर नेता मोतीलाल वोरा को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया है और जब तक नए अध्यक्ष का चयन नहीं हो जाता, तब तक वोरा अंतरिम अध्यक्ष बने रहेंगे.