Rahul Gandhi Adviser Sandeep Singh: जेएनयू के पूर्व छात्र संदीप सिंह को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना राजनीतिक सलाहकार चुना है. खास बात है कि इन्हीं संदीप सिंह ने साल 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफिले को काले झंडे दिखाए थे.
नई दिल्ली: साल 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के काफिले को काले झंडे दिखाने वाले जेएनयू के पूर्व छात्र को राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अपना राजनीतिक सलाहकार बना लिया है. इनका नाम है संदीप सिंह जो जेएनयू में रहते हुए लेफ्ट संगठन AISA के बैनर तले 2007 में छात्रसंघ का चुनाव लड़े और अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की. वही संदीप सिंह अब राहुल गांधी के राजनीतिक सलाहकार हैं. हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष ने औपचारिक तौर पर ऐसा नहीं किया है लेकिन संदीप सिंह ही राहुल गांधी के भाषण लिखते हैं और गठबंधन को लेकर राहुल गांधी से विचार-विमर्श करते हैं.
यही नहीं प्रियंका गांधी के रोड शो और चुनावी कैंपेन में भी संदीप सिंह उनके साथ हैं और प्रियंका गांधी के साथ-साथ यात्रा कर रहे हैं. ये बाद किसी को नहीं पता कि संदीप सिंह कैसे राहुल गांधी नजरों में आए लेकिन कहा जाता है कि 2017 के आसपास से संदीप सिंह राहुल गांधी के करीब नजर आने लगे थे.
AISA से जुड़ी हैं संदीप सिंह की जड़ें
मूल रूप से यूपी के प्रतापगढ़ के रहने वाले संदीप सिंह ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रजुएशन किया और फिर जेएनयू में दाखिला ले लिया. इस दौरान वो लेफ्ट संगठन आईसा से जुड़े. जेएनयू के हिंदी डिपार्टमेंट के छात्र संदीप सिंह जल्द ही फिलोसोफी के छात्र बन गए. नवंबर 2005 में जब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह जेएनयू आए तो संदीप सिंह के नेतृत्व में एक स्टूडेंट ग्रुप ने सरकार के विरोध में उन्हें काले झंडे दिखाए.
बोलने की गजब की क्षमता को देखते हुए उनके दोस्तों और उनकी पार्टी ने उन्हें 2007 में आइसा की तरफ से जेएनयूएसयू में अध्यक्ष पद का उम्मीदवार बना दिया और वो जीत भी गए. जेएनयू से निकलने के बाद संदीप सिंह ने लेफ्ट से किनारा कर लिया और अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल के लोकपाल मुहीम का हिस्सा बन गए.
लेफ्ट से कांग्रेस में आने का सफर
बाद में वहां भी वो ज्यादा नहीं टिक पाए और फिर कांग्रेस पार्टी की तरफ झुके. उन्हें पार्टी अध्यक्ष के स्पीच राइटर के तौर पर नियुक्त किया गया लेकिन जल्द ही उन्होंने टिकट बंटवारे का गणित सीख लिया और पार्टी रणनीतिकार की भूमिका में आ गए.
गौरतलब है कि देश में पिछले कुछ सालों से चुनाव का पैटर्न पूरी तरह बदल गया है. पहले नेताओं को जनता के बीच जाकर बोलने के लिए भाषण तैयार नहीं करना पड़ता था लेकिन अब नेताओं को भाषण के लिए पहले से तैयारी कराई जाती है. क्या बोलना है और कितना बोलना है. हर पार्टी के पास आज के समय में एक पीआर टीम है जो ना सिर्फ अपनी पार्टी के नेताओं का ऐड कैंपेन तैयार कर रही है बल्कि विपक्षी नेताओं की गलतियों को अपनी पार्टी के फायदे के लिए इस्तेमाल करने के तरीके पर भी काम कर रही है.
पिछले लोकसभा चुनावों में बीजेपी खेमे से एक नाम निकलकर आया था प्रशांत किशोर जिन्हें बीजेपी की जीत का श्रेय दिया गया क्योंकि उन्होंने ही बीजेपी के पूरे कैंपेन को संभाला था. इस बार भी बीजेपी के पीछे अच्छी खासी सोशल मीडिया और पीआर टीम काम कर रही है.