नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में बीते गुरुवार को हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर भीषण आतंकी हमले का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. इस आतंकी हमले की न्यायिक जांच की मांग के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की गई है. पुलवामा आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 45 जवान शहीद हो गए थे. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई, जिसमें मांग की गई कि कोर्ट केंद्र सरकार को इस मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन करे, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज करें और इसमें खुफिया विभाग, सेना के अधिकारी और कुछ लोकल अधिकारी भी रहें.
जनहित याचिका में मांग की गई कि केंद्र सरकार द्वारा गठित यह आयोग उरी और पुलवामा में हुए आतंकी हमलों की जांच करें और स्थानीय स्तर पर दिखने वाली खामियों की पड़ताल करे. साथ ही यह मांग भी की गई है कि केंद्र सरकार द्वारा गठित आयोग घाटी के कुछ स्थानीय नेताओं और नागरिकों की भी जांच करें, जो आतंकवादियों की मदद करते हैं और आतंकी हमलों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से जुड़े होते हैं. जनहित याचिका विनीत ढांडा नामक वकील ने दायर की है.
याचिका में ये मांगें भी रखी गई हैं, जिसमें पूछा गया है कि घाटी के अलगाववादियों पर अब तक क्या कार्रवाई हुई है और कितने अलगाववादियों के बैंक खाते जब्त किए गए हैं. अलगाववादियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की भी मांग की गई है. पीआईएल में कहा गया है जिन आलगाववादियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, उनके खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कड़ी कार्रवाई करे. साथ ही घाटी के पत्थरबाजों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की मांग की गई हैं.
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