नई दिल्ली, अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है, इन चुनावों के लिए जहां विपक्ष एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रहा है, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा की कोशिश है कि 16 वें राष्ट्रपति का चुनाव आम सहमति से ही हो जाए, यानी सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर एक ही उम्मीदवार […]
नई दिल्ली, अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होनी है, इन चुनावों के लिए जहां विपक्ष एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश कर रहा है, वहीं सत्ताधारी दल भाजपा की कोशिश है कि 16 वें राष्ट्रपति का चुनाव आम सहमति से ही हो जाए, यानी सत्ता पक्ष और विपक्ष मिलकर एक ही उम्मीदवार का सर्मथन कर दें और उसे अगला राष्ट्रपति घोषित किया जाए.
इसके लिए भाजपा के अध्यक्ष जे.पी.नड्डा से लेकर, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कवायद शुरू कर दी है और वे विभिन्न विपक्षी दलों से बातचीत भी कर रहे हैं, लेकिन केंद्र में भाजपा के अब तक के शासन को देखा जाय तो पार्टी ने हमेशा एन मौके पर किए गए फैसलों से सभी को चौकाया है. इसी कड़ी में शनिवार को भाजपा दिल्ली में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात होने वाली है. कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाक़ात में एनडीए की ओर से राष्ट्रपति चुनाव के प्रत्याशी पर फैसला हो जाएगा.
इस बार जातिगत समीकरण और वोट बैंक को ध्यान में रखकर होगा राष्ट्रपति उम्मीदवार का चयन किया जाएगा, क्योंकि दो साल बाद ही लोकसभा चुनाव होना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस बार किसी आदिवासी महिला के नाम पर मुहर लग सकती है. राष्ट्रपति चुनाव की रेस में द्रोपदी मुर्मू ,अनुसुइया उइके के नाम सबसे आगे हैं, वहीं पुरुषों में जोएल ओरांव के नाम की भी चर्चा है. अगले सप्ताह की शुरुआत में भाजपा की संसदीय बोर्ड की बैठक में राष्ट्रपति के उम्मीदवार के नाम पर मुहर लग सकती है.
भाजपा संसदीय बोर्ड के इंडोर्स करने के बाद एनडीए नेताओं की बैठक बुलाई जाएगी जिसमें राष्ट्रपति के उम्मीदवार के नाम पर समर्थन माँगा जाएगा, एनडीए के सभी घटक दलों के नेताओं को राष्ट्रपति का प्रस्तावक और समर्थक बनाया जाएगा, वहीं, नामांकन पर्चा दाखिल करते समय भी एनडीए के सभी नेता मौजूद रहेंगे.
बीते दिनों राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष का उम्मीदवार तय करने के लिए विपक्ष की एक बैठक हुई थी, जिसमें सबसे पहले शरद पवार का नाम आया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया. उसके बाद फारूक अब्दुल्ला के नाम पर भी चर्चा हुई था, हालांकि, उमर अब्दुल्ला ने उनके नाम का विरोध किया था और कहा था कि इसमें उनके नाम की चर्चा नहीं करनी चाहिए. अगर रिपोर्ट्स की मानें तो ममता ने दो नाम सुझाए हैं. इनमें एक गोपाल कृष्ण गांधी और दूसरा नाम फारूक अब्दुल्ला का है. इसके अलावा, अन्य की तरफ से एनके प्रेमचंद्रन का नाम भी सुझाया गया है.
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