नई दिल्ली, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलें अब खत्म हो गई हैं, साथ ही पीके ने ये घोषणा भी कर दी है कि वे बिहार के लोगों के साथ काम करेंगे. खैर, हाल ही में कांग्रेस ने उदयपुर में एक चिंतन शिविर किया था, जिसमें पार्टी ने आगे की रणनीति […]
नई दिल्ली, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कांग्रेस में जाने की अटकलें अब खत्म हो गई हैं, साथ ही पीके ने ये घोषणा भी कर दी है कि वे बिहार के लोगों के साथ काम करेंगे. खैर, हाल ही में कांग्रेस ने उदयपुर में एक चिंतन शिविर किया था, जिसमें पार्टी ने आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया था. इसी चिंतन शिविर पर अब प्रशांत किशोर ने ट्वीट किया है.
I’ve been repeatedly asked to comment on the outcome of #UdaipurChintanShivir
In my view, it failed to achieve anything meaningful other than prolonging the status-quo and giving some time to the #Congress leadership, at least till the impending electoral rout in Gujarat and HP!
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) May 20, 2022
उन्होंने लिखा कि उन्हें बार-बार उदयपुर चिंतन शिविर के बारे में पूछा गया. तो उनके विचार से ये शिविर यथास्थिति को लंबा खींचने और कांग्रेस नेतृत्व को कुछ समय देने के अलावा और कहीं से भी सार्थक नहीं था, कम से कम हाल ही में होने वाले गुजरात और हिमाचल चुनाव में मिलनी वाली करारी हार तक!
बता दें कि प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के साथ बातचीत खत्म करने को लेकर कहा कि ये तो कांग्रेस का बड़प्पन है कि उनके जैसे साधारण आदमी को बुलाया. आगे के रास्ते क्या हो सकते हैं, इस पर उन्होंने अपने विचार रखे थे, लेकिन अब ये तो पार्टी पर है कि वो उन रास्तों पर चलना चाहती है या नहीं. उन्होंने आगे कहा कि वैसे कांग्रेस में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी काबिलियत उनसे ज्यादा है. वे शुक्रगुज़ार हैं कि पार्टी ने उन्हें ऑफर दिया. कुछ एक ने उनसे कहा था कि वे अकेले जिम्मेदारी लेना चाहते हैं तो ऐसा भी नहीं है, वे ग्रुप में मानते हैं तो उन्हें लगता है कि कई लोग मिलकर काम करें तो ज्यादा अच्छा है क्योंकि काम बड़ा है.
पीके ने आगे ये भी बताया कि बात कहाँ अटकी, उन्होंने कहा कि कांग्रेस बहुत बड़ी पार्टी है. कांग्रेस में संविधान के हिसाब से काम होता है. उनकी एक पूरी व्यवस्था है, जिसके हिसाब से ही काम होता है, अब ऐसे में अगर अचानक एक ग्रुप बना दिया जाए और उससे हर तरह के काम करवाएं तो इससे आज नहीं तो कल विरोधाभास की स्थिति पैदा होगी, खींचतान होगी. उनका मानना है कि वे कांग्रेस का फायदा नहीं कर पाते बल्कि उनके आने से पार्टी का नुकसान ही होता.
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