चंडीगढ़, प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगी सेंध के बाद मचे सियासी हंगामा और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद पंजाब पुलिस पुलिस मामले की लीपापोती में जुट गई है. उसने दिखावे के लिए प्राथमिकी तो दर्ज कर ली है लेकिन आईपीसी की ऐसी धारा लगाई है जिसमें 200 का जुर्माना देकर आरोपी छूट जाएंगे. पंजाब पुलिस भूल रही है कि यह पीएम की सुरक्षा में चूक का मामला है और बात निकली है तो दूर तलक जाएगी. केंद्र सरकार इस मामले की जांच एनआईए- NIA से करा सकती है और उस स्थिति में किसी का बचना मुश्किल होगा.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और बीजेपी के पंजाब प्रभारी गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि आईपीसी की धारा 283 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर मामले का मजाक बनाने की कोशिश की गई है। उन्हें लगता है कि प्रधानमंत्री सुरक्षा एक ऐसा हल्का मुद्दा है जिसके लिए कोई भी व्यक्ति मात्र 200 रुपये का जुर्माना भर कर छूट सकता है और बच सकता है। पंजाब सरकार का ऐसा व्यवहार दर्शाता है कि उनके कांग्रेस अध्यक्ष ने उन्हें क्या निर्देश दिया था और उस दिन उनकी मंशा क्या थी। इस तरह की एफआईआऱ कर पंजाब पुलिस ने अपने प्रधान मंत्री का सम्मान करने वाले भारतीयों की चोट पर एसिड डालने का काम किया है।
बीजेपी के राज्य प्रवक्ता एडवोकेट गौरव गोयल ने कहा कि पूरी एफआईआर में प्रधानमंत्री सुरक्षा उल्लंघन का एक भी शब्द नहीं है और न ही उन अज्ञात लोगों की चर्चा है, जिन्होंने वहां अराजकता फैलाने की कोशिश की। पंजाब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के काफिले में सुरक्षा चूक और उसके बाद पंजाब पुलिस की प्रथम सूचना रिपोर्ट, दोनों ही देश के प्रधानमंत्री के प्रति पंजाब सरकार के रवैये को बयां करने के लिए काफी है।
गोयल ने आगे कहा, “अज्ञात व्यक्तियों को शामिल करके, पुलिस विभाग असली दोषियों को बचाने के लिए सभी को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही है। अब सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षा उल्लंघन से संबंधित सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। ऐसे में इस हास्यास्पद आपराधिक मामले के दर्ज होने से पूरी पंजाब सरकार की पोल खुल गई है। यह आपराधिक मामला सर्वोच्च राजनीतिक कार्यालय की भागीदारी के बिना दर्ज नहीं किया जा सकता था। इस तरह का आपराधिक मामला दर्ज करने पंजाब पुलिस ने बहुत बड़ी गलती कर दी है.
पंजाब पुलिस ने आईपीसी की जिस धारा 283 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है उसमें कहा गया है कि सार्वजनिक मार्ग या नौवहन में खतरा या बाधा जो कोई भी कार्य करके, या अपने कब्जे में किसी भी संपत्ति के साथ आदेश लेने से चूक कर या किसी भी सार्वजनिक मार्ग या नेविगेशन की सार्वजनिक लाइन में किसी भी व्यक्ति को खतरे, बाधा या चोट का कारण बनता है, तो उसे दो सौ रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जाएगा।
हालांकि ऐसे कई लोगों के वीडियो हैं जिन्होंने रास्ता रोक दिया और पंजाब पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने उन्हें सूचित किया था कि पीएम का काफिला जल्द ही मार्ग का अनुसरण करेगा। इसके अलावा, बीकेयू क्रांतिकारी ने आधिकारिक तौर पर पीएम नरेंद्र मोदी के काफिले को रोकने की जिम्मेदारी ली थी। सोशल मीडिया पर उपलब्ध सभी वीडियो के बावजूद, पंजाब पुलिस ने इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की।
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