नई दिल्ली. एक तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फादर ऑफ नेशन कहे जाने पर पीएम मोदी के साथ ट्रम्प की भी जय-जयकार हो रही है वहीं डोनाल्ड ट्रम्प पर महाभियोग की तैयारी और जीडीपी दर को लेकर जो संकट अमेरिका में पैदा हुआ है उससे भारतीय बाजार में हाहाकार मचा हुआ है. भारतीय शेयर बाजार में तब इसका भीषण असर देखने को मिला जब निवेशकों के 1.84 लाख करोड़ रुपये एक दिन में एक झटके में डूब गए. कहने का मतलब यह कि जयकार और हाहाकार के बीच भारत झूल रहा है और दोनों की वजह अमेरिका और राष्ट्रपति ट्रम्प हैं.
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस वक्त अमेरिका की यात्रा पर हैं और इस दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से उनकी दूसरी मुलाकात मंगलवार को न्यूयॉर्क में जब हुई तो द्विपक्षीय वार्ता के दौरान दोनों नेताओं ने बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. इस कांफ्रेंस में राष्ट्रपति ट्रम्प ने पीएम मोदी की जबरदस्त तारीफ की और उन्हें ‘फादर ऑफ इंडिया’ तक कह दिया.
बस क्या था, भारत में तो मोदी जी के पिछले दिनों मनाए गए जन्मदिन से ही उन्हें राष्ट्रपिता घोषित करने के बयानों की बहार आई हुई है और उस पर अगर ट्रम्प ने मुहर लगा दी तो क्या कहने. अब जाहिर सी बात है, जिस देश में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के तौर पर मान्यता प्राप्त हो उस देश में एक और राष्ट्रपिता की बात वो भी कोई विदेशी राष्ट्राध्यक्ष करे तो विवाद खड़ा होगा ही.
कांग्रेस की तरफ से इसके खिलाफ विरोध के स्वर उठे, असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्रम्प को जाहिल आदमी कहते हुए मोदी को राष्ट्रपिता का दर्जा देने की बात को सिरे से खारिज कर दिया. तो लगे हाथ मोदी सरकार में वरिष्ठ मंत्री जितेंद्र सिंह कहां चुप बैठने वाले. आनन-फानन में उन्होंने कह डाला कि जिन लोगों को ट्रम्प की इस बात पर गर्व नहीं हो रहा उन्हें भारतीय कहलाने का अधिकार नहीं है. मंत्री जी के इस बयान के बाद देश भक्ति में डूब गया और मोदी-ट्रम्प के नाम की जयकारे लगाने लगा.
लेकिन इस जय-जयकार के बीच अचानक तब सन्नाटा छा गया जब सप्ताह के तीसरे कारोबारी दिन 25 सितंबर बुधवार को शेयर बाजार में निवेशकों को 1.84 लाख करोड़ रुपये का चूना लग गया. दरअसल बीते कारोबारी दिन मंगलवार को बीएसई में लिस्टेड कुल कंपनियों का मार्केट कैप 1,48,73,247.18 करोड़ रुपये था, जो बुधवार को घटकर 1,46,88,398.66 करोड़ रुपये हो गया. इस लिहाज से निवेशकों को 1.84 लाख करोड़ रुपये का सीधा-सीधा नुकसान हुआ.
इसके पीछे की जो कहानी बताई जा रही है उसके मुताबिक, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो गई है. जिससे अमेरिकी बाजार में एक तरह से अस्थिरता का माहौल पैदा हो गया. जाहिर सी बात है, इसका असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा और एक झटके में शेयर बाजार ने ऐसा गोता लगाया कि सेंसेक्स 500 से अधिक अंक गिरकर बंद हुआ.
कहने का मतलब यह कि जिस देश में राष्ट्रपिता की पदवी से गांधी को बेदखल कर नरेंद्र मोदी के नाम को उछाला जाए और वो भी ट्रम्प जैसे अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर, भारतीय राजनीति के लिए इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ हो नहीं सकता. गांधी राष्ट्रपिता थे, हैं और आगे भी रहेंगे इससे किसी को ऐतराज नहीं हो सकता है. तो फिर भारत के राष्ट्रपिता को लेकर नई बहस छेड़ने का मतलब क्या है. देश के नेताओं और खासकर भाजपा समेत देश के तमाम दक्षिणपंथी विचारधारा के नेताओं को यह बात समझनी होगी कि अमेरिका भारत का कभी दोस्त नहीं हो सकता.
पूंजीवादी विचारधारा को पोषक यह देश हमेशा अपना भला सोचता है और उसकी भलाई इसमें है कि हम उससे हथियार खरीदें, हम उससे तेल खरीदें. ट्रम्प की मोदी भक्ति को समझना भारतीय कूटनीति के लिए बेहद जरूरी है. हमें इस चीज से उबरना होगा वरना उनके देश में आर्थिक व राजनीतिक हलचल से हम सीधे तौर पर नुकसान को झेलते रहेंगे.
(लेखक पिछले दो दशक से अधिक समय से प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता से जुड़े हैं और वर्तमान में आईटीवी डिजिटल नेटवर्क में कंसल्टिंग एडिटर के पद पर कार्यरत हैं)
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