PM Narendra Modi Amit Shah BJP Press Conference: लोकसभा चुनाव 2019 का अब सिर्फ आखिरी चरण का मतदान रह गया है. शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में साथ मौजूद थे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी. वहीं दूसरी ओर इसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की भी प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पीएम मोदी से किसी सवाल पर जवाब मांगा गया तो अमित शाह ने पत्रकारों से कहा कि हर सावाल का जवाब पीएम ही दें, ऐसा जरूरी नहीं. खबर में जानें पीएम मोदी की इस प्रेस अपीयरेंस के क्या हैं मायने.
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण के मतदान से पहले शुक्रवार को कुछ ऐसा हुआ जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी. बीजेपी ने प्रेस रिलीज जारी कर बताया था कि पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की प्रेस कॉन्फ्रेंस शाम पौने चार बजे होगी. वहीं कांग्रेस पार्टी ने रिलीज जारी कर कहा था कि सवा चार बजे राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे. दोनों के प्रेस कॉन्फ्रेंस में करीब आधे घंटे का अंतर था लेकिन बीजेपी की प्रेस कॉन्फ्रेंस देरी से शुरू हुई और सबको चौंकाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेस में अमित शाह के साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी पहुंच गए. मीडिया खेमे में उत्साह आ गया कि पीएम मोदी आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं जो पिछले पांच सालों से उन्होंने नहीं किया.
पीएम मोदी ने अपने पांच साल के कार्यकाल के बारे में बात की, इलेक्शन कैंपेन कैसा रहा उसके बारे में बात की लेकिन जब उनसे सवाल पूछने की कोशिश हुई तो उन्होंने ये कहते हुए पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की तरफ टॉस कर दिया कि पार्टी अध्यक्ष जो बोलेंगे वही उनका भी स्टैंड होगा. अब सवाल ये उठता है कि जब पीएम मोदी को पत्रकारों के सवालों का जवाब ही नहीं देना था तो फिर वो प्रेस कॉन्फ्रेंस में आए ही क्यों?
इसकी दो वजह हो सकती है. आखिरी चरण के मतदान का चुनाव प्रचार खत्म हो गया है और अब अगले दो दिन किसी भी पार्टी का नेता कोई इंटरव्यू या इलेक्शन कैंपेन नहीं करेगा. ऐसे में अगले दो दिन मीडिया में चर्चा का विषय बने रहने के लिए पीएम मोदी और बीजेपी ने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस वाली रणनीति अपनाई हो ताकि पीएम नरेंद्र मोदी और उनकी ये प्रेस कॉन्फ्रेस अगले दो दिन मीडिया में चर्चा का विषय बने रहें. बीजेपी की ये रणनीति कामयाब भी होती दिख रही है क्योंकि सोशल मीडिया पर इस समय सबसे ज्यादा इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस की चर्चा है. विपक्ष भी पीएम मोदी की प्रेस कॉन्फ्रेंस की चर्चा कर रहा है, फिर चाहे वो कटाक्ष के रूप में ही क्यों ना हो.
दूसरी वजह ये है कि भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का नाथूराम गोडसे को लेकर दिया बयान हर तरफ चर्चा का विषय बना हुआ है जो बीजेपी को आखिरी चरण के मतदान में नुकसान पहुंचा सकता था लेकिन पीएम मोदी का ये कहना कि वो इस बयान को लेकर साध्वी को कभी माफ नहीं करेंगे और फिर ये प्रेस कॉन्फ्रेंस साध्वी वाले मुद्दे को कहीं दबा देगा.
इसके अलावा इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए बीजेपी ने इस शिकायत को भी दूर करने की कोशिश की कि पीएम नरेंद्र मोदी ने पांच साल में कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की तो ये पीएम मोदी की एक्सेप्टेंस को बढ़ाने का एक तरीका भी हो सकता है. इसके अलावा पीएम मोदी को इंटरव्यू में लाकर पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा का जिक्र करना भी बीजेपी की रणनीति का हिस्सा हो सकता है. पीएम मोदी अक्सर अपने विरोधियों को चौंका देते हैं. ऐसे में हो सकता है कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस पूरी सोची समझी रणनीति के तहत किया गया हो ताकि आखिरी चरण के मतदान में इसका फायदा उठाया जा सके और विरोधियों के खिलाफ बढ़त बनाई जा सके.