नई दिल्ली। आज पूरे देश में ज्योतिराव फुले की 195वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘सामाजिक न्याय का चैंपियन’ बताया. पीएम ने कहा कि वह एक समाज सुधारक थे जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा दिया. पीएम- आशा के हैं स्त्रोत […]
नई दिल्ली। आज पूरे देश में ज्योतिराव फुले की 195वीं जयंती मनाई जा रही है. इस मौके पर श्रद्धांजलि देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ‘सामाजिक न्याय का चैंपियन’ बताया. पीएम ने कहा कि वह एक समाज सुधारक थे जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा दिया.
पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि, “महात्मा फुले को सामाजिक न्याय के चैंपियन और अनगिनत लोगों के लिए आशा के स्रोत के रूप में व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है, वह एक बहुमुखी व्यक्तित्व थे जिन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा दिया.उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अद्भुत विचारक, प्रखर समाजसेली, वंचितों, शोषित व महिलाओं के सशक्तिकरण व उन्नयन हेतु अपना जीवन अर्पण करने वाले युगपुरुष महात्मा ज्योतिबा फुले जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि.
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी ज्योतिराव फुले को श्रद्धांजलि दी और महात्मा ज्योतिबा को एक महान विचारक कहा. फुले को श्रद्धांजलि देते हुए, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, “महान समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले जी को उनकी जयंती पर मेरी विनम्र श्रद्धांजलि. उन्होंने सामाजिक न्याय के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया था. महिला शिक्षा के लिए.उनका योगदान और दलितों के उत्थान हमेशा प्रेरणादायी रहेगा.
वहीं महाराष्ट्र के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस ने ज्योतिबा फुले की जयंती पर श्रद्धांजलि भेंट की.
इसके साथ ही बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने एक ट्वीट में यह भी लिखा कि, “महान समाज सुधारक और शिक्षा, त्याग और तपस्या के माध्यम से महिला सशक्तिकरण के लिए आजीवन कठिन संघर्ष करने वाले महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर जन्मदिन की हार्दिक बधाई. नमन और उनके सभी अनुयायी ऐसे महापुरुष हमेशा लोगों के दिलों में रहते हैं.
बता दें, आज देश की हर महिला आजाद है. महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों की तरह काम कर रही हैं. अपनी सदियों पुरानी सांस्कृतिक, सामाजिक और पारंपरिक बाधाओं को तोड़ते हुए, लेकिन पहले ऐसा नहीं था. इस बदलाव के पीछे सिर्फ महात्मा ज्योतिराव फुले थे. महात्मा ज्योतिराव और उनकी पत्नी सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन लड़कियों के उत्थान, लैंगिक समानता और जातिगत भेदभाव के खिलाफ समर्पित कर दिया है.