नई दिल्ली: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान भारत से बातचीत को बेचैन हैं. इमरान लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के लिए गिड़गिड़ा रहे हैं. कल ही भारत ने साफ किया था कि 13-14 जून को किर्गिस्तान के बिश्केक में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन से इतर भारत की पाकिस्तान से किसी भी किस्म की मीटिंग की योजना नहीं है. इसके बाद पाक पीएम इमरान खान ने चिट्ठी लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से साउथ एशिया और पड़ोसी देशों में शांति के लिए मिलकर काम करने की इच्छा जताई. चिट्ठी में उन्होंने कश्मीर सहित सभी मसले बातचीत से हल करने की पेशकश की. आपको याद दिला दें कि भारत में जब चुनाव प्रचार चल रहे थे तब भी इमरान खान ने बयान दिया था कि वो चाहते हैं कि नरेंद्र मोदी ही दोबारा प्रधानमंत्री चुनकर आएं उसी सूरत में भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध बेहतर हो पाएंगे.
नरेंद्र मोदी के दोबारा प्रधानमंत्री बनते ही पाकिस्तान ने बदले तेवर
इमरान खान की चिट्ठी के बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘जहां तक मेरी जानकारी है, बिश्केक के एससीओ सम्मेलन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ द्विपक्षीय बैठक की कोई योजना नहीं बनाई गई है.’ वहीं, एक दिन पहले ही पाकिस्तान के विदेश मंत्री एसएम कुरैशी ने भारत के नए विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र भेजकर बधाई दी है. पत्र में उन्होंने इस्लामाबाद और दिल्ली के बीच बातचीत के जरिए रिश्ते सुधारने की अपेक्षा जताई है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री की ओर से यह पत्र पाकिस्तान के विदेश सचिव सोहेल महमूद के भारत के निजी दौरे के बाद आया है.
पाकिस्तान ने दावा किया है कि यह प्रधानमंत्री इमरान द्वारा अपने भारतीय समकक्ष को लगातार तीसरा पत्र है जिसमें उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की पेशकश की है. इससे पहले प्रधानमंत्री इमरान खान ने पीएम मोदी को लोकसभा चुनावों में उनकी जीत पर फोन कर बधाई दी थी. इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘बधाई संदेश के लिए इमरान खान को धन्यवाद देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त रूप से गरीबी से लड़ने के पाकिस्तान को दिए अपने पहले के संदेश को दोहराया.’ मोदी ने जोर देकर कहा था कि क्षेत्र में शांति, प्रगति, समृद्धि और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विश्वास और आतंकवाद से मुक्त वातावरण बनाना आवश्यक है.
इमरान का ‘नया पाकिस्तान’ बिना मोदी के मुमकिन नहीं
इमरान खान ऐसे वक्त में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने हैं जबकि पूरे देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. सरकारी खर्चों में कटौती की जा रही है. देश में जरूरी चीजों के दाम महंगे होते जा रहे हैं. जिन आतंकियों को पाकिस्तान ने पनाह दी, परवरिश दी वो अब वहीं सेल्फ गोल कर रहे हैं. पाकिस्तान में आए दिन बम धमाके और फिदाइन हमले हो रहे हैं. बलुचिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में लोग पाकिस्तान सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. भारत से संबंध बेहतर होने का मतलब है पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार आ सकता है. पाकिस्तान जानता है कि चीन के साथ उसकी दोस्ती में चीनी हितों का ख्याल ज्यादा रखा जाता है. चीन ने पाकिस्तान में कई प्रोजेक्ट शुरू किये हैं लेकिन वो पाकिस्तान के विकास के लिए नहीं बल्कि चीन के वैश्विक दबदबे को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है. बता दें कि 14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों के शहीद होने और जवाब में भारत की एयर स्ट्राइक के बाद से दोनों देशों के रिश्ते पटरी से उतरे हैं. हालांकि, इमरान खान ने कई बार बातचीत के जरिए संबंध सुधारने की बातें कहीं. मगर भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ नहीं चल सकते.
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