नई दिल्ली। प्रियंका गांधी और पेंटिंग विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. एक के बाद एक नए खुलासे होते जा रहे हैं. बता दें कि Yes बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया था कि कैसे पद्म भूषण दिलाने का लालच देकर उन्हें बहला-फुसलाकर प्रियंका […]
नई दिल्ली। प्रियंका गांधी और पेंटिंग विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. एक के बाद एक नए खुलासे होते जा रहे हैं. बता दें कि Yes बैंक के पूर्व सीईओ राणा कपूर ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया था कि कैसे पद्म भूषण दिलाने का लालच देकर उन्हें बहला-फुसलाकर प्रियंका गांधी के पास रखी एमएफ हुसैन की पेंटिंग 2 करोड़ में खरीदने का दबाव बनाया गया. इसके बाद प्रियंका गांधी ने भी पेंटिंग खरीदने के लिए लेटर लिखकर राणा कपूर का शुक्रिया अदा भी किया.
प्रियंका गांधी ने पेंटिंग खरीदने के बाद 4 जून 2010 को राणा कपूर के प्रति आभार व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा था. प्रियंका गांधी ने पत्र में लिखा है कि मेरे स्वर्गीय पिता की एमएफ हुसैन द्वारा बनाई गई पेंटिंग खरीदने के लिए धन्यवाद. 1985 में कांग्रेस पार्टी शताब्दी समारोह के दौरान यह पेंटिंग मेरे पिता को उपहार में दी गई थी, जो इस समय मेरे पास थी. आपके पत्र के साथ-साथ चेक नंबर 135343 की 3 जून 2010 को भुगतान प्राप्त हुआ. मुझे यकीन है कि आप इस काम के ऐतिहासिक मूल्य से अवगत हैं.
राणा कपूर ने ईडी को दिए अपने बयान में बताया कि साल 2010 में मिलिंद देवड़ा ने मुंबई में मेरे घर और ऑफिस के कई चक्कर लगाए. वह मेरे घर प्रियंका गांधी के पास मौजूद एमएफ हुसैन की पेंटिंग बेचना चाहता था. इतना ही नहीं उसने मुझे 98681802** मोबाइल नंबर से कॉल कर मैसेज किया. मैं इस पेंटिंग को खरीदना नहीं चाहता था. इसलिए मैंने उनके कॉल, मैसेज और निजी मुलाकातों को नजरअंदाज कर दिया. इसी सिलसिले में स्व. मुरली देवड़ा ने भी वर्ष 2010 में उनसे मिलने के लिए दिल्ली के लोधी स्थित अपने आवास पर बुलाया था. मुरली देवड़ा उस समय पेट्रोलियम मंत्री थे.
उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान मुरली देवड़ा ने मुझसे साफ कहा कि अगर पेंटिंग खरीदने में ज्यादा देरी हुई तो आपको और आपके बैंक को नुकसान होगा. देवड़ा परिवार से भी आपके संबंध खराब होंगे और इसके साथ ही आपको गांधी परिवार के साथ अच्छे संबंध बनाने का एक और मौका नहीं मिलेगा.साथ ही, यदि आप इस सौदे से हटते हैं, तो आपको पद्म भूषण नहीं मिल सकता है, जिसके आप हकदार हैं.
राणा कपूर ने अपने बयान में आगे कहा कि चूंकि इस सौदे में दो शक्तिशाली परिवार शामिल थे, इसलिए मैं किसी भी तरह की दुश्मनी बर्दाश्त नहीं कर सकता था. डील फाइनल होने के बाद मुझे पेंटिंग खरीदने के लिए राजी होना पड़ा. यह पेंटिंग हमें दिल्ली में प्रियंका गांधी के कार्यालय में दी गई थी. उस बैठक में येस बैंक के मेरे सहयोगी राहुल मेरे प्रतिनिधि बनकर गए थे. साथ ही इस सौदे की समापन बैठक में प्रियंका गांधी की ओर से उनके सचिव श्री राव मौजूद रहे. इस डील के लिए मैंने HSBC के अपने पर्सनल अकाउंट से चेक के जरिए 2 करोड़ रुपये दिए थे.
उन्होंने बताया कि असल में मिलिंद देवड़ा ने 2.5 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी, लेकिन मैंने 2 करोड़ रुपये मोलभाव करके दिए थे. कुछ हफ्ते बाद, मिलिंद देवड़ा मुझसे मुंबई में मिले और मुझसे कहा कि मैंने पेंटिंग खरीदकर बहुत अच्छा किया क्योंकि पैसे का इस्तेमाल न्यूयॉर्क में सोनिया गांधी के इलाज के लिए किया गया था. उसके बाद एक दिन जब मैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल के घर गया तो उन्होंने मुझसे कहा कि मैंने इलाज के लिए सोनिया गांधी की मदद करके अच्छा काम किया है और इस वजह से आपका नाम ‘पद्म भूषण’ के लिए माना जाएगा. लेकिन देवड़ा परिवार द्वारा किया गया वादा कभी पूरा नहीं हुआ. जब भी मैंने देवड़ा परिवार से संपर्क किया, उनके उदासीन उत्तर ने मुझे महसूस कराया कि मेरे साथ धोखा हुआ है
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