मोहन भागवत के बयान पर औवेसी ने खड़े किए सवाल, जानिए क्या है?

नई दिल्ली। बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की महत्वपूर्ण टिप्पणी को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संघ का पुराना पैटर्न करार दिया है। ओवैसी ने इस पर तमाम सवाल उठाते हुए 17 बिंदुओं का बयान जारी किया है। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग […]

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मोहन भागवत के बयान पर औवेसी ने खड़े किए सवाल, जानिए क्या है?

Pravesh Chouhan

  • June 4, 2022 1:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली। बनारस में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की महत्वपूर्ण टिप्पणी को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संघ का पुराना पैटर्न करार दिया है। ओवैसी ने इस पर तमाम सवाल उठाते हुए 17 बिंदुओं का बयान जारी किया है। उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्पष्टीकरण की मांग की है।

भागवत ने कही थी ये बात

संघ प्रमुख भागवत ने बीते दिन कहा था कि हिंदुओं द्वारा कुछ मंदिरों पर दावा किया जा सकता है, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों ढूंढना चाहिए? उन्होंने यह भी कहा था कि विवादों को दोनों पक्षों द्वारा संयुक्त रूप से हल किया जाना चाहिए, अन्यथा अदालत के फैसले को स्वीकार किया जाना चाहिए।

औवेसी ने उठाए ये सवाल

संघ प्रमुख के बयान पर ओवैसी ने कई सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और मोहन भागवत की जगह पीएम मोदी को स्पष्ट बयान देना चाहिए। एआईएमआईएम नेता ने कहा कि अगर पीएम मोदी भागवत के बयान का समर्थन करते हैं, तो उन्हें सभी शीर्ष हिंदुत्व नेताओं को रोकना होगा।

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि संघ प्रमुख के बयान को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। संघ की सदियों पुरानी रणनीति है कि जब चीजें अलोकप्रिय हो जाती हैं तो वह उनसे दूर हो जाती है। ओवैसी ने शुक्रवार को ट्विटर पर अपनी लंबी पोस्ट 17 पॉइंट्स के साथ लिखी। इसमें एआईएमआईएम प्रमुख ने कहा कि बाबरी आंदोलन के दौरान भी संघ के नेताओं का एक वर्ग कहता था कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। ओवैसी ने कहा कि मोहन भागवत और जेपी नड्डा के पास कोई संवैधानिक पद नहीं है, इसलिए पीएम मोदी को स्पष्ट संदेश देना चाहिए कि वह 1991 के धर्मस्थल अधिनियम के साथ हैं।

ओवैसी ने किया ये दावा 

ओवैसी ने दावा किया कि विहिप के गठन से पहले अयोध्या मुद्दा संघ के एजेंडे में नहीं था। 1989 में भाजपा के पालनपुर अधिवेशन में यह एजेंडा बना। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस राजनीतिक रूप से एक द्वंद्वात्मक भाषा बोलता है। उन्होंने कहा कि काशी, मथुरा, कुतुब सभी जोकर हैं जो इस मुद्दे को उठा रहे हैं। इनका सीधा संबंध संघ से है।

कांग्रेस ने क्या कहा?

भागवत के बयान पर कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा, उनका बयान बेहद रचनात्मक है। हमें इतिहास को एक तरफ रख देना चाहिए। इसे एक दूसरे के खिलाफ युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए।

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