नई दिल्ली. चीन को लेकर सदन में चर्चा की मांग की जा रही है. वहीं, अब चीन को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सेना मजबूत है और सरकार कमजोर है इसीलिए सरकार चीन पर बोलने से कतरा रही है. चीन के मुद्दे पर सरकार स्ट्रांग स्टैंड क्यों नहीं ले रही है. […]
नई दिल्ली. चीन को लेकर सदन में चर्चा की मांग की जा रही है. वहीं, अब चीन को लेकर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि सेना मजबूत है और सरकार कमजोर है इसीलिए सरकार चीन पर बोलने से कतरा रही है. चीन के मुद्दे पर सरकार स्ट्रांग स्टैंड क्यों नहीं ले रही है.
ओवैसी ने कहा, “अब समय आ गया है कि सरकार लाल आंख दिखाए, अब 56 इंच का सीना दिखाए. चीन इतना बड़ा मसला है, फिर भी भाजपा सदन में चर्चा नहीं चाहती. चीन के मुद्दे पर तो सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए.”
राज्यसभा में चर्चा की मांग को ठुकराए जाने के बाद कांग्रेस, लेफ्ट, डीएमके और अन्य दलों ने सदन से वॉकआउट कर लिया. वहीं लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने चर्चा की मांग तो हंगामा शुरू कर दिया. राज्यसभा ही नहीं लोकसभा में भी इस मुद्दे को उठाया गया, साथ जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों को मिल रही धमकियों आतंकियों द्वारा उन्हें निशाना बनाए जाने के मुद्दे पर भी विपक्ष ने चर्चा की मांग की. इसके साथ ही लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक स्थगन नोटिस भी दिया.
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि चीन हमारी ज़मीन कब्ज़ा रहा है लेकिन सरकार इसपर बात नहीं करना चाहती, खड़गे ने कहा कि अगर इस मुद्दे पर चर्चा नहीं करेंगे तो किस पर चर्चा करेंगे? इसके साथ ही खरगे ने ये भी कहा कि हम इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं. राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि राज्यसभा के स्पीकर के पास स्थगन नोटिस स्वीकारने के कई नियम हैं.
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