लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भी अब जातिगत जनगणना की मांग तेज हो रही है. जहां समाजवादी पार्टी इस मांग को जोरों शोरों से उठा रही है. गुरुवार को भी उत्तर प्रदेश की विधानसभा में ये सुर सुनाई दिए. यही नहीं शुक्रवार को सपा जातिगत गणना लेकर ब्लाकवार संगोष्ठी का आयोजन करने वाली है जिसकी शुरुआत […]
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में भी अब जातिगत जनगणना की मांग तेज हो रही है. जहां समाजवादी पार्टी इस मांग को जोरों शोरों से उठा रही है. गुरुवार को भी उत्तर प्रदेश की विधानसभा में ये सुर सुनाई दिए. यही नहीं शुक्रवार को सपा जातिगत गणना लेकर ब्लाकवार संगोष्ठी का आयोजन करने वाली है जिसकी शुरुआत वाराणसी से होगी. इस बीच विपक्ष में बैठी मायावती ने जातिगत गणना को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को घेरा है और केंद्र की मोदी सरकार से भी इसकी मांग की है.
23-02-2023-BSP PRESS NOTE-UP BUDGET EXPECTATION AND CASTE CENSUS pic.twitter.com/UvqPKj0X6g
— Mayawati (@Mayawati) February 23, 2023
दरअसल गुरुवार को एक चिट्ठी द्वारा मायावती ने जातिगत गणना को जरूरी बताते हुए इसे ना केवल प्रदेश बल्कि पूरे देश में करवाने की मांग की है. मायावती ने जो चिट्ठी साझा की है उसमें लिखा है कि जातिगत जनगणना की वकालत करने वाली सपा के लिए यह बेहतर होता कि वह इस कार्य को अपनी सरकार में पूरा कर लेती. यदि ऐसा हो जाता तो उसे बार-बार भाजपा सरकार से इसकी मांग ना करनी पड़ती. चिट्ठी में आगे कहा गया है कि BSP चाहती है कि जातिगत जनगणना अकेले यूपी में नहीं बल्कि पूरे देश में एक साथ होनी चाहिए. इससे लोगों की संख्या और स्थिति के बारे में पता चल पाएगा. ऐसे में केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए.
2. यूपी भाजपा सरकार अपनी बहुप्रचारित घोषणाओं, वादों व दावों को ध्यान में रखकर यहाँ महंगाई से त्रस्त लगभग 24 करोड़ जनता की गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, पिछड़ेपन एवं अराजकता आदि से उत्पन्न बदहाली को दूर करने हेतु अपनी कथनी एवं करनी में अन्तर से जनता के साथ विश्वासघात क्यों?
— Mayawati (@Mayawati) February 22, 2023
बसपा की इस चिट्ठी में कई मुद्दों को उठाया गया है. इसमें उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के बजट को औपचारिकता बताया है. साथ ही कहा गया है कि बजट के नाम पर केवल औपचारिकता करने की वजह से हर वर्ष युवाओं, गरीबों और बेरोज़गारों की उम्मीदें टूट रही हैं. आम जनता का जीवन लगातार लाचार बन रहा है. इस चिट्ठी में मायवती ने यूपी के बजट को खोखला और आधा-अधूरा करार दिया है. कहा गया है कि राज्यपाल के अभिभाषण में ही इसकी झलक मिल गई थी. दस्तावेज में ही ऐसा कुछ ख़ास नहीं था जो लोगों के त्रस्त जीवन में कुछ सहूलियत या राहत लेकर आए.
4. लोगों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु प्रति व्यक्ति आय में अपेक्षित वृद्धि, रोजगार व सरकारी भर्ती आदि तो दूर, उन पर कर्ज का बढ़ता बोझ सरकार की गलत नीतियों व प्राथमिकताओं का प्रमाण। कर्ज के बढ़ते बोझ से स्पष्ट है कि सरकार, दावों एवं प्रचारों के विपरीत, हर मोर्चे पर विफल हो रही है।
— Mayawati (@Mayawati) February 22, 2023
चिट्ठी में मायवती ने बजट को लेकर कई सवाल उठाए. इसमें लिखा है कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज खोलने के वादे लगातार दोहराए जाते हैं. लेकिन शिक्षा व लचर कानून-व्यवस्था जैसे ही प्रदेश की हालत पस्त है. सरकरी ज़ुल्म ज़्यादती भी व्यापक होती जा रहे है.
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