Open Letter To Bihar CM Nitish Kumar: बिहार के मुजफ्फरपुर में इंसेफलाइटिस चमकी बुखार से बच्चों की मौत का आंकड़ा जब 100 के पार पहुंचा तब जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मुजफ्फरपुर जाने का ख्याल आया. मुजफ्फरपुर में नीतीश कुमार के विरोध में नारे लगे और उन्हें वापस जाना पड़ा. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे इंसेफलाइटिस पर बैठक कर रहे थे लेकिन उनका ध्यान भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच पर था. बिहार की इस दुर्दशा पर तकलीफ से भरे एक बिहारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम लिखा खुला खत.
सुशासन बाबू नीतीश कुमार जी,
मुख्यमंत्री, बिहार
बहुत भारी मन से आपको खत लिख रहा हूं.पिछली दफा जब आप चुनावी प्रचार पर निकले तो बॉलीवुड के लिए गाने लिखने वाले राजशेखर ने आपके लिए चुनावी गीत लिखा, ‘बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है.’ यह गीत तब लोगों की जुबान पर चढ़ा भी खूब. आपके नेतृत्व पर बिहार की जनता पिछले डेढ़ दशक से भरोसा जता रही है. लेकिन शायद आपका राजनीति से मन उचट गया है. पटना से मुजफ्फरपुर जाने में एक घंटे का समय लगता है. आप तो मुख्यमंत्री हैं. आपके पास तो हेलीकॉप्टर से लेकर तमाम सुविधाएं हैं. लेकिन आप शायद बड़े इवेंट में जाना पसंद करते हैं. आपने इंतजार किया बिहार में मासूम बच्चों की मौत के शतक पूरा होने का. इंसेफलाइटिस यानी चमकी बुखार हर साल बिहार में सैकड़ों बच्चों की जिंदगी छीन रहा है. आप केंद्र सरकार के सहयोगी हैं. नरेंद्र मोदी से आपकी मित्रता है. लेकिन बिहार सरकार ने इंसेफलाइटिस के निदान/बचाव के लिए कोई गंभीर पहल नहीं की. आपके सियासी साथी इन मौतों पर हंसते मुस्कुराते नजर आए. आपके स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के बयानों को सुनिएगा तो शर्म ज्यादा आएगी या गुस्सा तय करना कठिन है. अश्विनी चौबे इंसेफलाइटिस पर केद्रीय हेल्थ मिनिस्टर हर्षवर्धन के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाते हैं तो उन्हें नींद आ जाती है.
बच्चों की मौत पर हो रही बैठक में बिहार के स्वास्थ्य मंत्री पूछ रहे थे क्रिकेट का स्कोर
आपके स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे क्रिकेट के खासे शौकीन लगते हैं. बिहार में 100 से अधिक बच्चों की इंसेफलाइटिस से मौत के बाद उन्होंने बैठक की. कायदे से इस बैठक में बिहार के बच्चों पर कहर बन कर टूट रहे चमकी बुखार से निपटने की रणनीति पर चर्चा होनी थी लेकिन उन्हें भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे क्रिकेट वर्ल्डकप मैच का ख्याल ज्यादा था. स्वास्थ्य मंत्री बैठक में मैच का स्कोर पता करते रहे. शायद क्रिकेट के इसी शौक ने उन्हें आंकडों से मोहब्बत करना सिखाया हो. मुजफ्फरपुर अकेले ही बच्चों की मौत के मामले में सेंचुरी मार चुका है. आपके स्वास्थ्य मंत्री इस शतक पर क्या सोचते हैं जरूर पूछिएगा.
JDU MP DC Yadav on state Health Min asking for cricket score in a meeting over AES: During India-Pak matches, there's nationalism in people's heart, they want India to win. They did everything seriously in the meeting & asked for score in b/w, opposition's allegations aren't true https://t.co/9huCeIVHAy
— ANI (@ANI) June 18, 2019
गरीब का बच्चा है मरता है तो मरे!
नीतीश जी, सरकारी अस्पतालों में इलाज कौन कराता है? सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को कौन भेजता है? आप सूबे के मुख्यमंत्री हैं अच्छी तरह जानते हैं. इंसेफलाइटिस से मरने वाले बच्चों की पारवारिक, आर्थिक और सामाजिक पृष्ठभूमि की रिपोर्ट निकलवा लीजिए. जिन बच्चों की मौत हुई है उनके मां-बाप सरकारी अस्पतालों में मजबूरी में पहुंचे होंगे. उनके पास बिहार के प्राइवेट अस्पतालों में अनाप-शनाप पैसा खर्च करने की सहूलियत नहीं है. उन्होंने आप पर भरोसा किया. आपके सरकारी अस्पतालों पर भरोसा किया. सिर्फ मुजफ्फरपुर के श्री कृष्ण मेडिकल हॉल में 100 बच्चों की मौत हो गई है. ये आपको मेडिकल इमरजेंसी नहीं लगती? इसके लिए केंद्र सरकार से मदद नहीं मांगी जा सकती थी? बच्चों की मौत हो रही है लेकिन अनाथ उनके मां-बाप महसूस कर रहे हैं. सूबे के अभिवावक होने के नाते इन मासूम मौतों का इल्जाम आप पर भी आएगा. आप इस दोष से कभी मुक्त नहीं हो पाएंगे मुख्यमंत्री जी! आज आप मुजफ्फरपुर पहुंचे तो लोगों ने आपके खिलाफ नारेबाजी की. आपको यकीनन बुरा लगा होगा. लेकिन जरा उन लोगों के बारे में सोचिए. ऐसे 130 से भी ज्यादा परिवारों के बारे में सोचिए जिन्होंने अपना बच्चा खो दिया. उनसे तो कम ही बुरा लग रहा होगा आपको!
सत्ताधारी सन्यासी हैं नीतीश बाबू!
नीतीश जी आपका इकबाल खत्म हो चुका है. मैं नहीं जानता आपका मन सत्ता से उचट चुका है या आप खुद को असहाय महसूस करते हैं. बिहार इस वक्त बेहद मुश्किल दौर से गुजर रहा है. लू लगने से सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है. बच्चों की मौत का आंकड़ा रोजाना हमें अंदर से और खोखला करता जा रहा है. जब रोम जल रहा था तब नीरो बंसी बजा रहा था. यह कहानी तो आपने सुनी ही होगी. आज आपको खत लिखते वक्त ये कहानी क्यों याद आ रही है नहीं जानता. सीएम साहब सत्ता आपके हाथ में है. लोकसभा चुनावों में भी आपको अप्रत्याशित सफलता मिली है. जनता का क्या है वो तो फिर चुनाव के वक्त बहल जाएगी. मैंने सुना है अंतरआत्मा जैसी भी कोई चीज होती है. अगर उसने सवाल पूछा तो क्या जवाब देंगे सीएम साहब!
आपका अपना
एक बिहारी