लखनऊ. समाजवादी पार्टी से रार के बाद सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर मुश्किलों में घिर गए हैं. एक-एक कर राजभर के करीबी ही उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं. अब अपने पार्टी में हुए इस्तीफों को लेकर भी राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा है कि अखिलेश यादव उनके विधायकों को […]
लखनऊ. समाजवादी पार्टी से रार के बाद सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर मुश्किलों में घिर गए हैं. एक-एक कर राजभर के करीबी ही उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं. अब अपने पार्टी में हुए इस्तीफों को लेकर भी राजभर ने अखिलेश यादव पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा है कि अखिलेश यादव उनके विधायकों को टिकट का लालच देकर उनकी पार्टी तोड़ रहे है. बता दें मंगलवार को सुभासपा के कई नेताओं ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था, इतना ही नहीं इन नेताओं ने इस्तीफ़ा देने के साथ ही राजभर पर गंभीर आरोप भी लगाए थे. इस्तीफ़ा देने वाले नेताओं में सुभासपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष मास्टर राधेश्याम सिंह सहित कुशीनगर के जिलाध्यक्ष और जिला प्रभारी शामिल हैं.
एक चैनल से बात करते हुए इस्तीफों पर ओपी राजभर ने कहा कि हम पिछड़ों की लड़ाई लड़ रहे है इसलिए हमें रास्ते से भटकाने के लिए ये नुकसान किया जा रहा है. सपा चार बार सरकार में थी, तब पिछड़ी जातियों को कितना भला किया था, इस फुट के पीछे तो समाजवादी पार्टी ही है. इसके साथ ही राजभर ने कहा कि सुभासपा की बढ़ती हुई लोकप्रियता से सपा परेशान है इसलिए इसका मैं सबूत दूंगा, उनके नौ रत्नों में दो रत्न इस समाय सुभासपा को तोड़ने में लगे हुए हैं. एक रत्न तो मऊ का है और एक लखनऊ का रत्न है, जो एक पर्चा तक नहीं भर पाया.
इस्तीफ़ा देने वाले नेताओं में सुहेलदेव समाजवादी पार्टी के कुशीनगर जिलाध्यक्ष, जिला सचिव और जिला प्रभारी शामिल हैं, वहीं ये इस्तीफ़ा भेजने से पहले सुभासपा प्रमुख ओमप्रकाश राजभर पर गंभीर आरोप भी लगाए गए. राजभर के करीबी माने जाने वाले राधेश्याम सिंह ने राजभर पर पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए कहा था कि राजभर ने मंडी खोल रखी है और ये पैसे लेकर टिकट बेचते हैं. वहीं, उन्होंने अपने खुद के खाते में 20 लाख रूपये ट्रांसफर करने का दावा भी किया.
कुशीनगर सुभासपा के जिम्मेदार कार्यकर्ताओं के इस्तीफा देने वाले प्रदेश स्तरीय नेता मास्टर राधेश्याम सिंह ने इस्तीफ़ा देते हुए कहा था कि सुभसपा प्रमुख राजभर के इस तरह बार-बार पाला बदलने से पार्टी के जो कर्तव्यनिष्ट नेता हैं उनका पार्टी से विश्वास डगमगा रहा है. कार्यकर्ताओं के इस डगमगाते विश्वास को संभालने की बजाय सुभासपा के नीति नियंता ओमप्रकाश राजभर अपने हिसाब से ही फैसले लेते रहे, इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी के खांटी कार्यकर्ताओं का विश्वास पूरी तरह से डिग गया और वे अपने को ठगा महसूस करने लगे हैं.
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