लखनऊ, सुभासपा चीफ ओमप्रकाश राजभर ने सपा से बढ़ती दूरियों और सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात को लेकर लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए अखिलेश यादव पर जमकर वार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पीएम मोदी और सीएम योगी से मिल सकते हैं, अगर वे […]
लखनऊ, सुभासपा चीफ ओमप्रकाश राजभर ने सपा से बढ़ती दूरियों और सीएम योगी आदित्यनाथ से मुलाकात को लेकर लग रहे आरोपों का जवाब देते हुए अखिलेश यादव पर जमकर वार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव पीएम मोदी और सीएम योगी से मिल सकते हैं, अगर वे लोग उन्हें फूलों का गुलदस्ता दें तो ठीक और हम मिलें तो गलत. वे मिलें तो वाह-वाह, हम मिलें तो कैरेक्टर ढीला, ये सब अब नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव खुद सीएम योगी से चोरी-चोरी मिलते रहते हैं, लेकिन उनपर कोई सवाल नहीं उठते.
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव में सपा ने न तो हमसे वोट माँगा और न ही हमें बुलाया गया, जिसने हमसे वोट माँगा उसे दे दिया. सुभासपा का अब भी सपा से गठबंधन है. अखिलेश यादव जब तक हमें नहीं कहते कि आप अपना देखें, हम अपना तब तक सुभासपा सपा के साथ ही है. राजभर ने कहा कि अखिलेश यादव यदि गठबंधन से निकालते हैं तो इस बार वे मायावती से बात करेंगे यानी बसपा से गठबंधन करेंगे.
बता दें कि चुनाव नतीजों के बाद से ही राजभर सार्वजनिक रूप से सपा मुखिया अखिलेश यादव पर निशाना साधने लगे हैं, राजभर ने यहां तक कह डाला कि AC कमरे में बैठकर चुनाव नहीं जीता जा सकता है. हाल ही में हुए विधान परिषद चुनाव के बाद से ही राजभर और अखिलेश के बीच में तल्खी बहुत ज्यादा बढ़ गई है. दरअसल, राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद भेजना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने राजभर के स्थान पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को ज्यादा तरजीह दी, जिससे राजभर उनसे नाराज़ चल रहे है.
राजभर और अखिलेश के बीच खींचतान चल ही रही थी,कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में अखिलेश ने राजभर को बुलाया ही नहीं और जयंत चौधरी को बुलाकर मंच भी साझा किया. सपा मुखिया अखिलेश यादव की इस सियासी चाल ने आग में घी का काम किया और तभी से राजभर अखिलेश पर खुल्लम खुल्ला हमला बोल रहे हैं. राजभर का यह भी कहना है कि बैठक में न बुलाए जाने की वजह जानने के लिए उन्होंने कई बार सपा अध्यक्ष से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश ने उन्हें जरा भी तरजीह नहीं दी.