पटना: उपेंद्र कुशवाहा के जदयू छोड़ने से अब सियासत काफी गरमा गई है. जहां कुशवाहा ने ऐलान कर दिया है कि वह अपनी अलग पार्टी बनाएंगे जिसका नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल है. इसी बीच कुशवाहा का बड़ा बयान सामने आ रहा है. जहां उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री को घेरा […]
पटना: उपेंद्र कुशवाहा के जदयू छोड़ने से अब सियासत काफी गरमा गई है. जहां कुशवाहा ने ऐलान कर दिया है कि वह अपनी अलग पार्टी बनाएंगे जिसका नाम राष्ट्रीय लोक जनता दल है. इसी बीच कुशवाहा का बड़ा बयान सामने आ रहा है. जहां उपेंद्र कुशवाहा ने एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री को घेरा है.
राष्ट्रीय लोक जनता दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने नई पार्टी बना ली है. अपनी पार्टी बनाने के बाद कुशवाहा ने कहा कि जेडीयू छोड़ने की साफ वजह नीतीश कुमार का व्यवहार है. बिहार के लोगों ने कर्पूरी ठाकुर की विरासत की रक्षा के लिए नीतीश कुमार को वोट दिया था.लेकिन उन्होंने इसे छोड़ दिया और इससे बिहार के लोग और पार्टी कार्यकर्ता काफी परेशान भी हुए. अब जदयू के पास कुछ नहीं बचा है. मैं इस बात को देख सकता था. अब मैं सीधे जनता के बीच जाऊंगा और कर्पूरी ठाकुर की विरासत को आगे बढ़ाऊंगा. इसके आगे कुशवाहा कहते हैं कि जदयू को अब कोई नहीं बचा सकता.
दूसरी ओर विधायक विजय मंडल के दावों से उलट JDU अध्यक्ष ललन सिंह ने साफ़ कह दिया है कि बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं हैं. बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस बात का फैसला साल 2025 में ही किया जाएगा. सोमवार (20 फरवरी) को जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर बयान दिया था. इस दौरान ललन सिंह ने कहा था कि ‘मेरे और नीतीश जी के बयान में कोई विरोधाभास नहीं है. नीतीश जी कह चुके हैं कि साल 2025 में तेजस्वी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाना है. हालांकि उनके यह कहनी का मतलब ये है कि चुनाव तो किसी के भी नेतृत्व में लड़ा जा सकता है. मुख्यमंत्री कौन बनेगा इस बात का फैसला केवल विधायक ही करेंगे.
ललन सिंह कहते हैं कि दो दिन से हम सुन रहे थे कि उपेंद्र कुशवाहा मीटिंग कर रहे हैं. JDU के कार्यकर्ता भी उसमें शामिल होंगे। उनका कुनबा छोटा सा चलता रहा है जिसमें वही लोग हैं जो कल भी थे और आज भी हैं. उनकी नई पार्टी को लेकर ललन सिंह ने शुभकामना दी है. ललन सिंह ने आगे कहा कि पहली बार कुशवाहा विधायक बने तो उन्हें नीतीश कुमार ने विरोधी दल का नेता बना दिया था. नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा भी भेजा लेकिन महज तीन महीने में ही उन्होंने दल विरोधी काम किया और चले गए.
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