नई दिल्ली। बिहार की सत्ता एक बार फिर बदल चुकी है। हालांकि मुख्यमंत्री वही हैं नीतीश कुमार। सीएम कुर्सी भी वही, राजभवन और विधानसभा भी वही है। तो बदला क्या है? बदले हैं सत्ता के समीकरण, बदल गए हैं सरकार के सहयोगी। इस बदलाव का परिणाम ये है कि बिहार में 17 महीने पहले हुआ […]
नई दिल्ली। बिहार की सत्ता एक बार फिर बदल चुकी है। हालांकि मुख्यमंत्री वही हैं नीतीश कुमार। सीएम कुर्सी भी वही, राजभवन और विधानसभा भी वही है। तो बदला क्या है? बदले हैं सत्ता के समीकरण, बदल गए हैं सरकार के सहयोगी। इस बदलाव का परिणाम ये है कि बिहार में 17 महीने पहले हुआ गठबंधन, जिसमें RJD और JDU शामिल थे, वो टूटकर बिखर गया है और जो कांग्रेस INDIA गठबंधन के बैनर के नीचे कई दलों के साथ खड़े होकर NDA को हराने निकली थी, उसे करारा झटका लगा है।
नीतीश के जाने से कांग्रेस को झटका इसलिए, क्योंकि जिस विपक्षी एकता का नारा कांग्रेस लगा रही थी, वो नारा नीतीश कुमार का ही दिया हुआ था, लेकिन जब इस नारे के साथ जमीन पर उतरने का समय आया तो कांग्रेस उसी खास नेता से हाथ धो बैठी, जो अभी कुछ दिन पहले उन्हीं के साथ बैठकर, सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने की कोशिश में बड़ी ही शिद्दत के साथ जुटा हुआ था।
यह शख्स कोई और नहीं नीतीश कुमार थे, जो नौवीं बार बिहार के सीएम बने हैं, लेकिन बदले हुए समीकरण के साथ। इन सब बातों के बीच, जो असल वजह सामने आई है वह तो और भी दिलचस्प है। इस बात के केंद्र में है कांग्रेस और राहुल गांधी की ऐसी बात, जिसके बाद ही नीतीश ने ये तय कर लिया कि ‘INDIA’ में रहना ठीक नहीं और वो ‘चल खुसरो घर आपने…’ गुनगुनाते हुए उठकर आ गए।
13 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति से दो दिन पहले इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी। उस बैठक में क्या हुआ, इस बाबत खबर आई थी कि नीतीश ने विपक्षी गठबंधन में संयोजक पद ठुकरा दिया है। उस दिन सामने आई खबर के अनुसार, नीतीश कुमार ने मीटिंग में कहा कि लालू यादव जी सबसे वरिष्ठ हैं। उनको गठबंधन का संयोजक बनाया जाना चाहिए।
खबरों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए गठबंधन का चेयरमैन कांग्रेस पार्टी के नेता को बनाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि मैं संयोजक नहीं बनना चाहता हूं और मैं गठबंधन के लिए बिना पद के काम करूंगा।