पटना, बिहार में एनडीए गठबंधन टूट गया है. इस समय राज्य में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है. आज आरजेडी और जेडीयू के विधायक दलों की अलग-अलग बैठकें हुई थी. वहीं, जेडीयू की बैठक में भाजपा गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया है. शाम चार बजे नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलेंगे और इसी मुलाक़ात के बाद […]
पटना, बिहार में एनडीए गठबंधन टूट गया है. इस समय राज्य में बड़ा सियासी उलटफेर हुआ है. आज आरजेडी और जेडीयू के विधायक दलों की अलग-अलग बैठकें हुई थी. वहीं, जेडीयू की बैठक में भाजपा गठबंधन तोड़ने का फैसला लिया गया है. शाम चार बजे नीतीश कुमार राज्यपाल से मिलेंगे और इसी मुलाक़ात के बाद वो गठबंधन तोड़ने का ऐलान करेंगे. बता दें, कि विधायक दल की बैठक में नीतीश ने कहा कि एनडीए गठबंधन में उन्हें हमेशा अपमानित किया गया है. हमेशा उन्हें कमजोर करने की कोशिश की है. कहा ये भी जा रहा है कि नीतीश कुमार की भाजपा से नाराज़गी में अमित शाह भी एक फैक्टर हैं, नीतीश शाह की वजह से गठबंधन सरकार में असहज महसूस करते हैं.
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार को अमित शाह के बिहार की राजनीति में बढ़ते दखल से परेशानी है और वह खुद को गठबंधन सरकार में असहज महसूस करते थे. हालांकि खुद भाजपा के मुखिया जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि आम चुनाव में बिहार से नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे, लेकिन नीतीश कुमार गठबंधन में असहज हैं और कहा जा रहा है कि नीतीश को भाजपा की रणनीति चुभती है, और यही वजह है कि वो अब एनडीए गठबंधन तोड़ रहे हैं.
दरअसल बिहार की मौजूदा सरकार में भाजपा के कोटे से जो भी मंत्री बने हैं, वे अमित शाह की पसंद के माने जाते हैं और नीतीश कुमार इसे अपने लिए खतरे के रूप में देखते थे. इससे पहले आरसीपी सिंह ने भी जेडीयू छोड़ते हुए आरोप लगाया था कि नीतीश कुमार को जलन है. उन्होंने कहा था, ‘मैं तो यही कह सकता हूं कि जलन का इलाज संभव नहीं है. नीतीश कुमार अपने 7 जन्मों में भी प्रधानमंत्री नहीं बन सकते हैं.’ नीतीश कुमार ने पिछले महीने ही आरसीपी सिंह को राज्यसभा भेजने से मना कर दिया था क्योंकि नीतीश कुमार इस बात से नाराज थे कि उनकी सलाह के बिना ही आरसीपी सिंह को मोदी कैबिनेट में जगह दी गई थी.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नीतीश कुमार इस बात से नाराज हैं कि बिहार भाजपा के नेता अकसर उन पर अटैक करते हैं. वहीं भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप इसमें कोई दखल नहीं दे रही है, यही नहीं सुशील मोदी जैसे नेताओं को भाजपा ने बिहार की राजनीति से अगल कर दिया है, जिनसे नीतश के अच्छे संबंध थे. ऐसे में, नीतीश की नाराज़गी और बढ़ गई है. भाजपा ने तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी सीएम बनाया है और संजय जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा दिया गया है, जबकि नीतीश कुमार का मानना है कि इन लोगों की जमीन पर कोई पकड़ नहीं है.
बिहार में अपना CM चाहती है भाजपा, नीतीश कैसे करेंगे सियासी भूचाल का सामना