पटना। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव आज बिहार पहुंचे हैं. केसीआर ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की है. ज्ञात हो कि दोनों नेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में लगे हैं. अब केसीआर और नीतीश की मुलाक़ात के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज […]
पटना। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव आज बिहार पहुंचे हैं. केसीआर ने आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की है. ज्ञात हो कि दोनों नेता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने की कवायद में लगे हैं. अब केसीआर और नीतीश की मुलाक़ात के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई और इस मुलाकत के कई मायने निकाले जा रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़ा चेहरा बनकर उभर सकते हैं.
बिहार में जिस तरह जनता दल यूनाइटेड ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस सहित अन्य दलों के साथ मिलकर भाजपा का गेम खत्म किया है, उसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है. बड़ा सवाल यह है कि क्या नीतीश कुमार विपक्ष के संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के पीएम फेस बन पाएंगे?
दोनों की इस मुलाकात के बाद ये भी सवाल उठ रहे हैं कि कहीं पीएम पद को लेकर विपक्ष आपस में ही न भीड़ जाए, क्योंकि विपक्षी एकता का आह्वान करने वाले नीतीश कुमार भले ही खुद कुछ न कहें लेकिन उनके मन में भी पीएम बनने की महत्वकांक्षाएं हैं और एनडीए से गठबंधन तोड़ने के बाद उनकी ये महत्वकांक्षाएं कुलांचे मार रही है. वहीं, अगर दूसरी ओर देखें तो जेडीयू के नेता कई बार नीतीश कुमार को पीएम कैंडिडेट बता चुके हैं.
इधर, केसीआर को लेकर भी कुछ ऐसी ही स्थिति हैं, केसीआर भी खुद को पीएम पद के दावेदार के रूप में देखते हैं. जिस तरह से केसीआर विपक्षी एकता का आह्वान कर रहे हैं और विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं उससे कहीं न कहीं ये तो नज़र आ रहा है कि केसीआर खुद पीएम बनने की इच्छा रखते हैं.
जहाँ नीतीश और केसीआर में पीएम बनने की महत्वकांक्षाएं कुलांचें मार रही है तो वहीं ममता बनर्जी भी एक फैक्टर हैं. दीदी भी खुद को पीएम पद की उम्मदीवार के रूप देखती हैं. ममता बनर्जी भी विपक्ष को एकजुट करने में लगी हैं, बीते दिनों उन्होंने ये कहा भी था कि 2024 की दिल्ली की लड़ाई उनकी आखिरी लड़ाई है, इससे ये तो साफ़ है कि वो खुद को पीएम कैंडिडेट के रूप में देखती हैं.
दोनों नेताओं की मुलाकात पर तंज कसते हुए बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि यह अपने-अपने राज्यों में जनाधार खो रहे और ‘‘प्रधानमंत्री बनने की आकांक्षा’’ रखने वाले नेताओं की मुलाकात है. उन्होंने आगे कहा कि ‘यह दिवास्वप्न देखने वाले दो नेताओं की मुलाकात है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने कहीं नहीं ठहरते हैं.’’