नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद कांग्रेस में जारी उठापटक का सिलसिला थमता नजर आ रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 23 मई को चुनाव परिणाम के बाद से ही अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जता चुके हैं. काफी मान-मन्नौवल के बावजूद राहुल गांधी अपने फैसले पर अड़े हुए हैं. कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोपों के मद्देनजर राहुल ने यह साफ कर दिया है कि न तो वो न ही उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की अध्यक्ष बनेंगी. नए कांग्रेस अध्यक्ष को लेकर लग रहे कयासों पर अब विराम लगता दिख रहा है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत नए कांग्रेस अध्यक्ष हो सकते हैं. बताया जा रहा है कि अशोक गहलोत के नाम पर सहमति बन गई है और जल्द ही उनके नाम का औपचारिक ऐलान हो सकता है. पार्टी अभी इस बात पर मंथन कर रही है कि गहलोत के साथ कितने कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाएं. वहीं राहुल गांधी बिना किसी पद के पार्टी संगठन का काम देश भर में देखेंगे.
2014 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने अपने राजनीतिक इतिहास का सबसे बुरा प्रदर्शन किया था. वह लोकसभा में मात्र 44 सीटों पर सिमट गई थी. उसे नेता विपक्ष बनने लायक सीटें तक नसीब नहीं हो पाईं थी. 2019 का लोकसभा चुनाव राहुल गांधी की अध्यक्षता में लड़ा गया. कांग्रेस ने इस बार के चुनावों में मात्र 8 सीटों की बढ़ोत्तरी कर पाई और उसका आंकड़ा 52 तक ही पहुंच पाया. वहीं नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी अकेले 300 से अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही वहीं एनडीए का आंकड़ा साढ़े तीन सौ के ऊपर पहुंच गया. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इसे अपने नेतृत्व की विफलता के तौर पर स्वीकार किया है. सबसे बड़ा झटका राहुल गांधी की पुश्तैनी सीट अमेठी से लगा. यहां राहुल गांधी बीजेपी की स्मृति ईरानी से चुनाव हार बैठे. हालांकि केरल के वायनाड से जीतकर राहुल गांधी संसद जरूर पहुंचे हैं लेकिन अमेठी की हार ने उनके राजनीतिक करियर पर बट्टा तो लगा ही दिया है. राहुल गांधी अब बिना किसी पद के पार्टी और संगठन को दोबारा खड़ा करना चाहते हैं. ऐसे में अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी अशोक गहलोत को सौंपी जा सकती है जो राहुल के करीबी भी माने जाते हैं.
कहानी खत्म है या शुरूआत होने को है
राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली है. उनके पिता राजनीति में अनमने ढंग से आए थे. राजीव गांधी बतौर पायलट अपनी जिंदगी से खुश थे लेकिन मां इंदिरा गांधी की मौत के बाद उन्हें सियासत में आना पड़ा. राहुल गांधी भी लंबे समय तक एक ऐसे नेता के तौर पर देखे गए जिनका मन राजनीति में नहीं लगता. कभी चुनावों में हार के बाद वो छुट्टियां मनाने विदेश चले जाते तो कभी अपनी ही पार्टी के प्रधानमंत्री द्वारा लाया गया ऑर्डिंनेंस मीडिया के सामने फाड़ कर फेंक देते. कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद राहुल गांधी फुल टाइम राजनेता के रूप में नजर आए. राहुल ने आक्रामक ढंग से सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊपर हमले किए. राहुल गांधी के भाषणों में भी काफी सुधार देखने को मिला.पार्टी कार्यकर्ताओं से जुडा़व भी बढ़ा. इसके बावजूद चुनाव के नतीजे कांग्रेस के खिलाफ गए. राहुल गांधी के बारे में कयास लगाया जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद उनको लोकसभा में कांग्रेस का नेता विपक्ष बनाया जा सकता है. लेकिन बंगाल के अधीर रंजन चौधरी को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई. ऐसे में राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य क्या होगा इस पर सभी की नजर रहेगी.
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