लखनऊ. सपा संरक्षक एवं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव दुनिया को अलविदा कह गए हैं. उन्होने गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में अपनी आखिरी सांसे ली. समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने आखिरी बार साल 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा था.
राजनीति में गेस्ट हाउस कांड एक ऐसी घटना है जिसने मुलायम और मायावती को एक-दूसरे का राजनीतिक जानी दुश्मन बना दिया था, इस कांड के बाद से दोनों की दुश्मनी जगजाहिर हो गई थी. इस घटना के बाद दोनों एक -दूसरे को देखना तो दूर नाम लेना भी पसंद नहीं करते थे, ऐसे में दोनों एक -दूसरे के सामने आने से भी कतराते थे, लेकिन एक बार फ्लाइट में अचानक मुलायम सिंह यादव और मायावती का आमना-सामना हो ही गया फ्लाइट में दोनों को सीट भी आस-पास की ही मिली थी.
साल 1993 में भाजपा को टक्कर देने के लिए मुलायम सिंह यादव ने बसपा प्रमुख कांशीराम के साथ गठबंधन कर लिया था, उस समय यूपी और उत्तराखंड एक ही थे और विधानसभा में सीटों की संख्या 402 की तरह 422 हुआ करती थी, उस समय मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी 256 सीट और बहुजन समाज पार्टी 164 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, इस चुनाव में समाजवादी पार्टी को 109 और बहुजन समाज पार्टी को 67 सीटों पर जीत मिली थी. चुनाव के बाद समझौते के मुताबिक, मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बन गए थे, लेकिन दो साल के अंदर ही दोनों में खींचतान शुरू हो गई.
बसपा और सपा में खींचतान चल ही रही थी कि मायावती और बीजेपी के बीच गठबंधन की बातें मुलायम को पता चल गई. ऐसे में, भाजपा की तरफ से बसपा को समर्थन देकर मायावती को मुख्यमंत्री बनाने की बातें होने लगीं थी, मुलायम सिंह यादव को पता चला कि सपा से समर्थन वापस लेने के लिए 2 जून 1995 को मायावती लखनऊ स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में अपने विधायकों के साथ मीटिंग कर रही थी, तभी सपा कार्यकर्ताओं और नेताओं ने गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया, इस दौरान सपा और बसपा के नेताओं के बीच गेस्ट हाउस पर मारपीट शुरू हो गई. मायावती कमरा नंबर एक में ठहरी हुई थीं, उस समय हालात इतने बिगड़ गए थे कि मायावती को छिपना पड़ा था, उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया था. उस वक्त उनके साथ दो और लोग भी कमरे में थे, जिसमें से एक सिकंदर रिज़वी थे.
देखते ही देखते बाहर सपा नेताओं का जमावड़ा बढ़ गया, दरवाजा खुलवाने के लिए पूरी ज़ोर आज़माइश होने लगाई. वहीं कमरे के भीतर मौजूद लोगों ने दरवाजे को सोफे और मेज से जाम कर दिया, जिससे किसी भी तरह से दरवाज़ा न खोला जा सके. बसपा ने आरोप लगाया कि सपा नेताओं ने मायावती को जान से मारना की कोशिश की थी, इस बारे में अजय बोस ने अपनी किताब ‘बहनजी’ में गेस्टहाउस कांड का जिक्र करते हुए लिखा है, जिसके मुताबिक सपा कार्यकर्ताओं ने मायावती को कमरे में बंद करके पीटा था, यहाँ तक कि उनके कपड़े भी फाड़ दिए थे.
इसी घटना के बाद मुलायम सिंह यादव और मायावती में अदावत दो नेताओं की नहीं बल्कि दो दुश्मनों जैसी बढ़ गई थी, तकरार इतनी बढ़ गई थी कि दोनों एक दूसरे के आमने सामने भी नहीं आते थे. सार्वजनिक रूप से दोनों एक दूसरे का नाम लेने से भी कतराते हैं. गेस्ट हाउस कांड के बाद कोई नहीं कह सकता था कि मुलायम सिंह यादव और मायावती का फिर कभी आमना-सामना हो सकता है, लेकिन संयोग से फ्लाइट में दोनों का आमना-सामना हो गया.
जब फ्लाइट में नेता जी और मायावती मिले तो दोनों नेताओं ने एक दूसरे को पूरे रास्ते नजर उठाकर भी नहीं देखा. दोनों अखबार पढ़ने में व्यस्त रहे जिससे उनकी नज़रें भी न मिल सके.
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