Modi Nitish Cabinet Bihar NDA BJP JDU Alliance Tension: आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव की पार्टी आरजेडी के उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू और तेजस्वी यादव के शब्दों में पलटूराम और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बीजेपी और एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन में आने का न्योता भेजा है. नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री पद ठुकराने वाले नीतीश ने अपने कैबिनेट के विस्तार में जेडीयू के 8 मंत्री शामिल किए लेकिन बीजेपी को एक मंत्री पद ऑफर किया तो भाजपा ने भी उसे ठुकरा दिया. फिर जेडीयू और बीजेपी की इफ्तार पार्टी में एक-दूसरी पार्टी के नेता नहीं गए. 17 साल के राजनीतिक गठबंधन के बाद 2013 में बीजेपी का साथ छोड़कर 2015 में लालू यादव के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश ने 2017 में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस का हाथ छोड़कर दोबारा नरेंद्र मोदी की बीजेपी का साथ पकड़ लिया था. लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में 39 सीट एनडीए को मिली और जो 40वीं सीट एनडीए हारी वो जेडीयू की लड़ी हुई सीट थी जिसे कांग्रेस ने जीता. बिहार से बीजेपी के 17, जेडीयू के 16, एलजेपी के 7 सांसद जीते हैं जबकि कांग्रेस के एक. तेजस्वी यादल की आरजेडी, उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी, जीतनराम मांझी की हम, मुकेश सहनी की वीआईपी का सूपड़ा लोकसभा चुनाव में साफ हो गया.
पटना. क्या 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जेडीयू अध्यक्ष और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फिर पाला बदलेंगे. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के द्वारा पलटूराम के विशेषण से नवाजे गए नीतीश कुमार क्या फिर से पलटी मारेंगे. क्या नीतीश कुमार बीजेपी, एलजेपी के एनडीए को छोड़कर आरजेडी, कांग्रेस की अगुवाई वाले महागठबंधन में वापसी का न्योता कबूल करेंगे. क्या नीतीश कुमार बीजेपी, एलजेपी के एनडीए और आरजेडी, कांग्रेस वाले महागठबंधन से अलग कोई और गठबंधन खड़ा करके विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. सवाल बहुत सारे हैं लेकिन जवाब सिर्फ नीतीश कुमार को ही पता होगा. सवाल उठे हैं क्योंकि उठने का मौका दिया है एनडीए ने और मजा ले रहा है आरजेडी जिसके नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने नीतीश कुमार को सम्मान बचाने के लिए महागठबंधन में आने का न्योता भेजा है. नरेंद्र मोदी कैबिनेट में एक मंत्री पद ठुकराकर पटना लौटने नीतीश कुमार ने कैबिनेट विस्तार में बीजेपी को भी एक मंत्री पद ऑफर किया जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया. नीतीश कुमार ने जेडीयू के 8 मंत्री बना डाले, बीजेपी का एक नहीं. उसके बाद जेडीयू और सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में बीजेपी का कोई नेता नहीं गया तो बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम सुशील मोदी की इफ्तार पार्टी में जेडीयू का कोई नेता नहीं पहुंचा. अलबत्ता नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी में उनके विरोधी बन चुके पूर्व सीएम जीतनराम मांझी पहुंच गए और अब तो आरजेडी से घर वापसी का खुला न्योता भी दे दिया गया है.
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की अगुवाई में बीजेपी और एनडीए की अभूतपूर्व जीत के बाद 30 मई को पीएम मोदी के शपथ ग्रहण में नीतीश कुमार गए लेकिन उससे पहले साफ कर दिया कि मोदी सरकार में जेडीयू से कोई मंत्री नहीं बन रहा है. बीजेपी ने जेडीयू को 1 कैबिनेट मंत्री पद का ऑफर दिया था जिसे नीतीश कुमार ने ठुकरा दिया और कहा कि जिसके जितने सांसद हैं, उसे उस हिसाब से कैबिनेट में हिस्सेदारी मिलनी चाहिए. माना जाता है कि नीतीश कुमार केंद्र की नई सरकार में कम से कम दो मंत्री चाहते थे. नीतीश कुमार ने कहा कि वो सरकार में प्रतीकात्मक हिस्सेदारी नहीं चाहते हैं इसलिए जेडीयू सरकार में शामिल नहीं होगी लेकिन एनडीए में रहेगी और सरकार को बाहर से समर्थन देगी.
नरेंद्र मोदी सरकार के शपथ ग्रहण और कैबिनेट गठन के तीन दिन बाद बिहार की राजधानी पटना में नीतीश कुमार ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया और 8 नए मंत्री शामिल किए लेकिन उन 8 में एक भी मंत्री बीजेपी या एलजेपी का नहीं था, सारे के सारे जेडीयू के थे. नीतीश ने कैबिनेट विस्तार के बाद मीडिया से कहा कि उन्होंने बीजेपी को एक मंत्री पद का ऑफर दिया था लेकिन भाजपा की इच्छा नहीं थी. दिल्ली में नरेंद्र मोदी सरकार में एक मंत्री पद का ऑफर ठुकराने वाले नीतीश ने अपनी सरकार के कैबिनेट विस्तार में भी बीजेपी को एक मंत्री पद ऑफर किया जिसे भाजपा ने ठुकरा दिया. नीतीश ने कहा कि जेडीयू के 8 नेता इसलिए मंत्री बनाए गए हैं क्योंकि कैबिनेट में जो जगह खाली थे वो सारे जेडीयू कोटे के ही खाली थे. आम लोग सोचेंगे कि हिसाब बराबर. लेकिन राजनीति में हिसाब कभी बराबर नहीं होता. दांव पर दांव चले जाते हैं. नीतीश कैबिनेट विस्तार के बाद शाम में पटना में जेडीयू की इफ्तार पार्टी में बीजेपी का कोई नेता नहीं गया जबकि नीतीश कुमार के इस इफ्तार में पूर्व सीएम जीतनराम मांझी गए. वहीं डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी की इफ्तार पार्टी में कोई जेडीयू का नेता नहीं गया. दांव पर दांव चले जा रहे हैं और इसके साथ ही एनडीए में दरार की नींव पड़ती दिख रही है.
दिल्ली में कैबिनेट गठन और पटना में कैबिनेट विस्तार में जेडीयू और बीजेपी को एक मंत्री पद का ऑफर और दोनों दलों का उसे ठुकराना, बिहार में आरजेडी की अगुवाई वाले कांग्रेस महागठबंधन में हलचल पैदा कर गया है. कहने को तो नीतीश कह रहे हैं कि एनडीए में सब ठीक है, बीजेपी और जेडीयू के संबंध सामान्य हैं लेकिन लालू यादव की आरजेडी से नाता तोड़ने से पहले भी नीतीश ऐसी ही बातें करते थे. नीतीश कुमार ऐसे नेता हैं जो रातों-रात अचानक से पलटी नहीं मारते, थोड़ा-थोड़ा करवट लेते हुए पलटते हैं.
अगर लालू यादव की आरजेडी-कांग्रेस महागठबंधन से हाथ छुड़ाने की कहानी याद करें तो नीतीश ने 27 जुलाई, 2017 को गठबंधन तोड़ने से पहले ही इसकी भूमिका बनानी शुरू कर दी थी. तेजस्वी यादव, राबड़ी यादव और लालू यादव पर आईआरसीटीसी जमीन आवंटन घोटाला मामले में सीबीआई केस तो आखिरी दलील थी जिस पर दोनों दल अलग हुए. उससे पहले ही नीतीश कुमार राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए कैंडिडेट मीरा कुमार के खिलाफ एनडीए के रामनाथ कोविंद को वोट करवा चुके थे. विपक्ष जब नोटबंदी को देश के लिए तबाही बता रहा था तो नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी की तारीफ कर रहे थे. विपक्ष जब सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहा था तो नीतीश कुमार बीजेपी के सुर में सुर मिला रहे थे.
लोकसभा चुनाव में जबर्दस्त जीत के बाद नरेंद्र मोदी सरकार में नीतीश कुमार जेडीयू सांसद आरसीपी सिंह और ललन सिंह को मंत्री बनाने की चाहत में थे. आरसीपी सिंह ने तो गांव में मिठाई तक बांट दी थी लेकिन सब पर पानी फिर गया. सत्ता की मलाई के बंटवारे को लेकर पहले दिल्ली और फिर पटना में जेडीयू और बीजेपी के बीच जो हुआ है, उसे राजनीति में सामान्य नहीं कहा जाता. इससे चीजें शुरू होती हैं. नीतीश कुमार के बारे में लालू यादव कहते रहे हैं कि उनके पेट में दांत है जिसका ये मतलब है कि नीतीश मन ही मन बहुत कुछ करते हैं और लोगों को भनक नहीं लगने देते.
बिहार में 2020 में विधानसभा चुनाव है. उससे पहले क्या ये मंत्री बनाने और ना बनाने का खेल नीतीश कुमार के करवट बदलने की शुरुआत है, ये कुछ महीनों बाद पता चलेगा. चर्चा करने वाले उत्साही लोग तो ये कह रहे हैं कि नीतीश कुमार की जेडीयू, राहुल गांधी की कांग्रेस मिलकर लालू यादव की आरजेडी को तोड़कर या राजद विधायकों का इस्तीफा कराकर कोई नया समीकरण खड़ा कर सकते हैं. राजनीति में अटकल कभी सच साबित होते हैं, कभी झूठ पर राजनीति की खबरें ऐसे ही बाहर आती हैं. बिहार की राजनीति में मौसमी गर्मी के साथ-साथ राजनीतिक गर्माहट भी बढ़ रही है. इस समय की खबर बस इतनी ही है. आगे की खबर नीतीश कुमार के पेट या दिमाग में पक रही होगी.