लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए गैर एनडीए और विपक्षी दलों का महागठबंधन लगभग तैयारी है. लेकिन यूपी के दो क्षत्रपों बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सूबे में सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंस सकता है. सूत्रों के हवाले से खबर है कि बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती 80 सीटों में 40 सीटों की मांग कर सकती हैं. इसकी मांग के कारण सपा-बसपा गठबंधन में दरार पड़ सकती है.
लखनऊ. लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बीजेपी के खिलाफ गैर एनडीए पार्टियों का महागठबंधन मूर्त रुप लेता दिख रहा है. लेकिन यूपी से इस महागठबंधन के लिए एक बुरी खबर आ रही है. अंग्रेजी समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार यूपी में दो सबसे बड़ी पार्टियों समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसता दिख रहा है. टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार बसपा सुप्रीमो अपने लिए 40 सीटों की मांग कर सकती है. अगर ऐसा होता है तो संभव है कि समाजवादी पार्टी मायावती की इस मांग को ना माने.
कैराना और नूरपुर उपचुनाव में मिली जीत पर समाजवादी पार्टी ने तो जमकर जश्न मनाया. ये बात किसी से छुपी नहीं है कि सपा को ये जीत मुस्लिम और दलित वोटों के कारण ही मिली है. ये भी जगजाहिर है कि इस जीत में मायावती की बहुजन समाज पार्टी का दलित वोटरों के वोट एकतरफा डलवाने में क्या रोल रहा है. बसपा के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि बसपा सुप्रीमो मायावती चाहती हैं कि यूपी की लोकसभा की 80 सीटों में से बीएसपी 40 सीटों पर चुनाव लड़े. बाकी 40 सीटें सपा, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) में बांटी जाएं. हालांकि इसकी संभावना बेहद ना के बराबर है. क्योंकि जिस तरह से समाजवादी पार्टी का राज्य में वर्चस्व है उसके आधार पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव मायावती की इस मांग को कभी नहीं मानेंगे.
बता दें कि इससे पहले गोरखपुर और फूलपुर सीट पर बसपा समर्थित समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी की जीत के बाद ये खबरें आ रही थी कि लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी मायावती की बीएसपी के अपने से अधिक 35 सीटें दे सकती है. जबकि सपा खुद 30 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, बाकी 15 सीटें कांग्रेस व रालोद के लिए छोड़ी जा सकती है. कहा जा रहा है कि सीट बंटवारे का आधार 2014 के चुनाव परिणाम बनेंगे. मोटे तौर पर 2014 में जीती हुई सीटों के अलावा जो दल जिस सीट पर दूसरे नंबर पर रहा है, वहां उसकी दावेदारी रहेगी.
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