लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अली-बली वाले बयान पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने शनिवार को तंज कसा. मायावती ने कहा कि हमारे अली और बजरंगबली दोनों हैं. बजरंग बली इसलिए भी चाहिए क्योंकि ये मेरी दलित जाति से जुड़े हैं. इनकी जाति की खोज मैंने नहीं की, खुद यूपी के सीएम ने की है. दरअसल पिछले दिनों सहारनपुर के देवबंद में समाजवादी पार्टी-बहुजन समाजवादी और राष्ट्रीय लोकदल ने साझा रैली की थी. तीनों दल यूपी में महागठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे हैं.
यूपी में 80 लोकसभा सीट हैं, जिसमें बसपा 38, सपा 37 और आरएलडी 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. दो सीटें- अमेठी और रायबरेली कांग्रेस के लिए छोड़ी गई हैं. देवबंद रैली में मायावती ने कहा था कि कांग्रेस भाजपा को नहीं हरा सकती. उसे सिर्फ महागठबंधन ही हरा सकता है. इसलिए मुस्लिम मतदाता कांग्रेस को वोट देकर उसे बर्बाद करने की जगह महागठबंधन के प्रत्याशियों को वोट दें. उनके इस बयान पर खूब सियासत हुई थी.
चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए सहारनपुर प्रशासन से रिपोर्ट भी मांगी थी. इसके बाद योगी आदित्यनाथ ने मेरठ रैली में कहा कि अगर कांग्रेस-सपा-बसपा को ‘अली’ पर भरोसा है तो हमें बजरंगबली पर विश्वास है. सीएम के इस बयान की चुनाव आयोग से शिकायत की गई थी. इसके बाद उन्होंने जवाब में कहा कि वह आगे से इस तरह का बयान नहीं देंगे.
इससे पहले शुक्रवार को मायावती ने पहले चरण के लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद हेराफेरी और धांधली का आरोप लगाया. उन्होंने चुनाव आयोग से कहा कि वह मतदान के बाकी छह चरणों में अपनी ‘संवैधानिक जिम्मेदारी’ निभाएं. ट्वीट कर मायावती ने लिखा कि बीजेपी ने अब वोट से नहीं नोटों से, ईवीएम में हेराफेरी और पुलिस/प्रशासन के दुरुपयोग से जीत हासिल करने का फैसला किया है.” जवाब में भाजपा ने कहा कि मायावती का तिलिस्म टूट रहा है. वह बहुत पहले ही दलित समाज के सामने बेनकाब हो चुकी हैं. इसकी का नतीजा है कि 2012, 2014, 2017 के बाद अब 2019 में भी उन्हें करारी हार मिलेगी और पराजय का दरवाजा 23 मई को खुल जाएगा.
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