गुजरात चुनाव में 'नीच' कांड हो गया है. 2014 में प्रियंका गांधी ने जब नरेंद्र मोदी की राजनीति को नीच कहा था तो उसका असर चुनावों पर दिखा था. पीएम मोदी ने उस बयान को नीच जाति तक खींच लिया था. इस बार कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने तो सीधे मोदी को नीच आदमी कह दिया है जिसका असर गुजरात चुनाव में 2014 के चुनाव से बड़ा और गहरा होगा.
नई दिल्ली. गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक दो दिन पहले कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नीच और असभ्य कहना गुजरात के चुनाव में कांग्रेस को भारी पड़ सकता है. 2014 में प्रियंका गांधी ने मोदी की राजनीति को नीच बताया था तो मामला नीच जाति तक पहुंच गया था. खुद प्रधानमंत्री मोदी ने पहले चरण के प्रचार के आखिरी दिन अय्यर के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए एक रैली में कहा कि जनता 18 दिसंबर को बता देगी कि कौन नीच आदमी है. गुजरात विधानसभा के लिए 9 दिसंबर को पहले चरण और 14 दिसंबर को दूसरे चरण की वोटिंग है जिसके नतीजे 18 दिसंबर को आएंगे. मणिशंकर अय्यर वही नेता हैं जिन्होंने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले उस समय बीजेपी की तरफ से पीएम पद के उम्मीदवार घोषित हो चुके नरेंद्र मोदी को घुमाकर चायवाला कहा था.
गुजरात चुनाव को लेकर चुनावी सर्वेक्षणों से जाहिर हुआ है कि बीजेपी को बढ़त दिख रही है लेकिन मामला कांटे का है. ऐसे माहौल में जब कांग्रेस को उम्मीद है कि गुजरात में वो 22 साल से चली आ रही भाजपा सरकार को सत्ताविरोधी वोट से उखाड़ सकती है, अय्यर का ये बयान कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है. यही वजह है कि अय्यर के बयान पर बवाल बढ़ता देख खुद कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एक्शन में आए और ट्वीट करके कहा कि अय्यर को अपने बयान के लिए मोदी से माफी मांगनी चाहिए. राहुल ने डैमेज कंट्रोल में सबसे आगे आकर ट्वीट किया और साफ-साफ कहा, “भाजपा और पीएम हमेशा कांग्रेस पार्टी पर हमले के लिए गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं. कांग्रेस की संस्कृति और विरासत अलग है. प्रधानमंत्री के लिए मणिशंकर अय्यर का लहजा और भाषा ठीक नहीं है. कांग्रेस पार्टी और मैं उम्मीद करते हैं कि अपने कहे के लिए वो माफी मांगेंगे.” राहुल कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने वाले हैं. कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव में इकलौते उम्मीदवार होने के नाते उनकी जीत हो चुकी है और सोनिया गांधी की जगह पर उनकी ताजपोशी औपचारिकता भर है.
गुजरात में कांग्रेस की संभावना बेहतर दिख रही है लेकिन उसके साथ आए नेताओं में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल की एक के बाद एक कई सेक्स सीडी आ चुकी हैं. हार्दिक पटेल ने भले ही सेक्स सीडी पर ये स्टैंड लिया हो कि वो मर्द हैं और ये उनकी निजी जिंदगी है लेकिन भारतीय वोटर पर नेताओं की ऐसी सीडी का असर हो ही जाता है. कांग्रेस को हार्दिक पटेल के साथ से मदद मिल रही है पर उस मदद में सेक्स सीडी कांड से कितना नुकसान हुआ, ये चुनाव के बाद पता चलेगा. कांग्रेस को दलित नेता जिग्नेश मेवानी और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर का भी साथ है. कांग्रेस ने गुजरात के लिए अपनी तरफ से जो बेहतर समीकरण बनाकर चुनाव लड़ा जा सकता था, वो इंतजाम किया है. माहौल भी बहुत खराब नहीं है. लेकिन ठीक चुनाव से दो दिन पहले गुजराती अस्मिता कार्ड खेलने वाले नरेंद्र मोदी को नीच और असभ्य कहना, इन बने-बनाए समीकरण और माहौल को कितना बिगाड़ सकता है, इसका ठीक-ठीक अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. प्रधानमंत्री मोदी ने सूरत में चुनाव रैली में अय्यर के अपमानजनक बयान पर कहा, “आप सबने मुझे देखा है. मैं सीएम रहा, पीएम हूं. क्या किसी को मेरे कारण शर्म से सिर झुकाना पड़ा है. क्या मैंने कोई शर्मिंदा होने वाला काम किया है. फिर वो मुझे नीच क्यों कह रहे हैं. उन लोगों ने हमें क्या-क्या कहा. गदहा, नीच, गंदी नाली के कीड़े. गुजरात के लोग 18 दिसंबर को ऐसी घटिया भाषा का करारा जवाब देंगे. राहुल गांधी की तय ताजपोशी पर कांग्रेस को औरंगजेब राज मुबारक हो कहने वाले मोदी ने एक बार फिर मुगलों को बीच में घसीटा और कहा, “कांग्रेस नेता ऐसी भाषा बोल रहे हैं जो लोकतंत्र में मंजूर नहीं है. एक कांग्रेस नेता जो बेस्ट कॉलेजों में पढ़ा, डिप्लोमेट रहा, मंत्री रहा, वो कहता है कि मोदी नीच है. ये अपमानजनक है. ये और कुछ नहीं मुगलिया मानसिकता है.” पीएम मोदी के जवाब से ही साफ है कि उन्होंने इसे खुद और गुजरात के अपमान के रूप में प्रोजेक्ट करके लोगों से 9 दिसंबर और 14 दिसंबर को इसका जवाब वोट से देने की अपील की है जिसका नतीजा 18 दिसंबर को आएगा.
2014 में मणिशंकर अय्यर के चायवाला कांड के बाद अमेठी में प्रियंका गांधी ने मोदी की राजनीति को नीच कहा था लेकिन राजनीति के उस्ताद मोदी ने उसे खुद की पिछड़ी जाति से जोड़कर उसे नीच जाति का मसला बना दिया. माना जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी को अय्यर का चायवाला कहना और प्रियंका गांधी का नीच राजनीति कहना असर दिखा गया था. आपको याद ना हो तो बता दें कि जनवरी, 2014 में मणिशंकर अय्यर ने कहा था, “21वीं सदी में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन पाएं, ऐसा मुमकिन नहीं है. लेकिन वह कांग्रेस के सम्मेलन में आकर चाय बेचना चाहें तो हम उनके लिए जगह बना सकते हैं.” इस बयान पर ऐसा बवाल खड़ा हुआ था कि कांग्रेस को जवाब देते नहीं बन रहा था. उसकी सहयोगी पार्टियां भी अय्यर के इस बयान के खिलाफ हो गई थीं और कहा था कि मोदी को चायवाला कहना गलत है. अय्यर ने चायवाला इसलिए कहा था क्योंकि मोदी खुद ही बताते रहे हैं कि उन्होंने कैसे चाय बेचने के काम से गुजरात के मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया. अय्यर के बयान पर बवाल थमा ही था कि ठीक चुनावी गहमागहमी के बीच अमेठी में नरेंद्र मोदी ने स्व. राजीव गांधी पर सीधा हमला बोल दिया जिसके बाद उनकी बेटी प्रियंका गांधी ने कहा था कि मोदी की नीच राजनीति का जवाब अमेठी की जनता देगी. मोदी ने प्रियंका के इस बयान को नीच राजनीति से निचली जाति पर खींच लिया और ऐसा बवंडर खड़ा हुआ कि कांग्रेस फिर सफाई देते-देते परेशान रही पर नुकसान नहीं रोक सकी. मोदी ने तब प्रियंका की नीच राजनीति वाले बयान पर कहा था, ”सामाजिक रूप से निचले वर्ग से आया हूं इसलिए मेरी राजनीति उन लोगों के लिये ‘नीच राजनीति’ ही होगी. हो सकता है कुछ लोगों को यह नज़र नहीं आता हो पर निचली जातियों के त्याग, बलिदान और पुरुषार्थ की देश को इस ऊँचाई पर पहुँचाने में अहम भूमिका है. इसी ‘नीच राजनीति’ की ऊँचाई पिछले 60 सालों के कुशासन और वोट बैंक की राजनीति से भारत को मुक्त कर भारत माँ के कोटि-कोटि जन के आँसू पोंछेगी. इसी ‘नीच राजनीति’ की ऊँचाई भारत माँ को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में विश्व में स्थान दिलाने की ताक़त रखती है.”