नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने आज विपक्ष की बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार पर चर्चा होगी. ममता इस बैठक के लिए मंगलवार को दिल्ली पहुंच गई हैं, वहीं इस बैठक के लिए अखिलेश यादव, महबूबा मुफ़्ती और 17 दलों के नेता […]
नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने आज विपक्ष की बैठक बुलाई है, जिसमें राष्ट्रपति पद के लिए संयुक्त उम्मीदवार पर चर्चा होगी. ममता इस बैठक के लिए मंगलवार को दिल्ली पहुंच गई हैं, वहीं इस बैठक के लिए अखिलेश यादव, महबूबा मुफ़्ती और 17 दलों के नेता पहुँच चुके हैं, लेकिन इस बैठक से विपक्ष के बड़े दल जैसे आम आदमी पार्टी और टीआरएस ने किनारा कर लिया है.
राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष की ओर से कौन उम्मीदवार होगा इसे लेकर बंगाल की मुख्यमंत्री की ओर से बुलाई गई बैठक से आम आदमी पार्टी ने किनारा कर लिया है.इस बैठक में आम आदमी पार्टी की तरफ से कोई शामिल नहीं होगा. आम आदमी पार्टी की ओर से कहा गया है कि उम्मीदवार का नाम सामने आने के बाद इस बात पर कोई फैसला लिया जाएगा. वहीं तेलंगाना के सीएम केसीआर भी इस बैठक में शामिल नहीं हुए, साथ ही उनकी पार्टी का कोई प्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल नहीं हुआ.
यूँ तो ममता बनर्जी और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के बीच राजनीतिक संबंध मधुर है और दिल्ली में इन दोनों नेताओं की कई बार मुलाकात भी हो चुकी है, लेकिन आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से खासकर पंजाब में शानदार जीत के बाद बीजेपी के विकल्प के रूप में खुद को देखने लगी है. इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी ने आगामी गुजरात और हिमाचल के चुनाव की तैयारी जोरों पर शुरू कर दी है. पार्टी की ओर से लगातार यह मैसेज दिया जा रहा है कि अब आम आदमी पार्टी ही विकल्प है. वहीं तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को कड़ी चुनौती देने वाले शक्तिशाली गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हैं, ऐसे में वे खुद को विपक्ष की अगुवाई करते हुए देखते हैं, जिसकी वजह से वे इस बैठक में शामिल नहीं हुए.
ममता बनर्जी की ओर से बुलाई गई मीटिंग से सिर्फ ये दो नेता ही नहीं बल्कि इसके अलावा ओडिशा के सीएम, अकाली दल और भी कई दूसरे दलों के नेता भी शामिल नहीं हुए. कुल मिलाकर, ममता की इस बैठक से के चंद्रशेखर राव की पार्टी टीआरएस, आम आदमी पार्टी, बसपा, वाईएसआर कांग्रेस, बीजेडी और अकाली दल से कोई भी शामिल नहीं हुआ है. वहीं, खबरें ये भी हैं कि बसपा और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) जैसे दलों को आमंत्रित ही नहीं किया गया था.
2014 के लोकसभा चुनाव के बाद से जो सवाल उभरा कि पीएम मोदी के सामने में विपक्ष का चेहरा कौन होगा वह सवाल अब तक बरकरार है. साल 2014 के बाद 2019 के चुनाव में भी कई प्रयोग हुए लेकिन कोई भी प्रयोग सफल नहीं रहा और यूपी उसका एक बड़ा उदाहरण है. बंगाल में जीत के बाद कमजोर होती कांग्रेस को देख ममता बनर्जी अपने लिए मिशन दिल्ली को एक बड़े मौके के रूप में देख रही हैं और वह दोनों हाथ से इस मौके को लपकना चाहती हैं, इसलिए अगुवाई करने के किसी भी मौके को ममता छोड़ना नहीं चाहती हैं.
वहीं, दूसरी ओर आम आदमी पार्टी पिछले कई महीनों से खासकर पंजाब में शानदार जीत के बाद बीजेपी के विकल्प के रूप में खुद को देखने लगी है. इसी कड़ी में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव भी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को कड़ी चुनौती देने वाले शक्तिशाली गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हैं, ऐसे में वे भी खुद को विपक्ष की अगुवाई करते हुए देख रहे हैं.
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