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मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सुभासपा के प्रत्याशी बने रमाकान्त कश्यप ने खरीदा नामांकन पत्र

मैनपुरी. आने वाले दिनों में मैनपुरी में उपचुनाव होना है, नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी. मैनपुरी से ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से रमाकांत कश्यप चुनाव लड़ने वाले हैं, ऐसे में आज कलेक्ट्रेट पहुँच कर उन्होंने अपने नामांकन पत्र खरीदा है. बता दें मैनपुरी में […]

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  • November 11, 2022 7:18 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मैनपुरी. आने वाले दिनों में मैनपुरी में उपचुनाव होना है, नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद ये सीट खाली हो गई थी. मैनपुरी से ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से रमाकांत कश्यप चुनाव लड़ने वाले हैं, ऐसे में आज कलेक्ट्रेट पहुँच कर उन्होंने अपने नामांकन पत्र खरीदा है. बता दें मैनपुरी में पांच दिसंबर को उपचुनाव होना है.

मैनपुरी से अखिलेश यादव ने डिंपल यादव को मैदान में उतार दिया है. कहा जा रहा था कि अखिलेश यादव इस सीट से तेज प्रताप यादव को उतारेंगे लेकिन उन्होंने डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया. अब डिंपल यादव के प्रत्याशी बनने के बाद कहा जा रहा है कि नेताजी के निधन के बाद जो यादव कुनबा एक हो रहा था वो एक बार फिर बिखर गया है.

परिवार में आई दरार ?

मुलायम के निधन के बाद मुलायम कुनबा एक साथ खड़ा नज़र आ रहा है लेकिन मैनपुरी उपचुनाव के जरिए उमड़ रही सियासी महत्वाकांक्षाओं के चलते सबके सुर बदलने लगे हैं, हाल ही में अखिलेश यादव ने मैनपुरी में उम्मीदवार तय करने के लिए एक बैठक बुलाई थी जिसमे रामगोपाल यादव और धर्मेंद्र यादव तो शामिल थे लेकिन शिवपाल यादव को इस बैठक से दूर रखा गया. शिवपाल की गैरमौजूदगी में ये बैठक कर अखिलेश ने इतना तो सन्देश दे ही दिया है कि मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा शिवपाल को ज़रा भी भाव देने के मूड में नहीं है, अखिलेश के इस रुख को देखते हुए शिवपाल ने भी चुप्पी तोड़ी है और अखिलेश के खिलाफ बयानबाज़ी शुरू कर दी है, चाचा शिवपाल की टिस उनके बयानों में साफ़ झलक रही है.

अखिलेश का नेताजी की विरासत पर दावा

मुलायम की परंपरागत सीट होने के चलते अखिलेश मैनपुरी सीट को अपने परिवार के ही किसी को देना चाहते हैं अब खुद यूपी में ही सक्रिय होने के चलते अखिलेश लोकसभा चुनावो तक विधानसभा में ही रहने का फैसला कर चुके है ऐसे में मुलायम की सीट से डिंपल यादव को उतारा गया है, दरअसल डिंपल का नाम तय करने के पीछे दो बड़ी वजह हैं, पहला तो ये कि परिवार के भीतर तेजप्रताप और धर्मेंद्र चुनाव लड़ने के इच्छुक थे ऐसे में अखिलेश उलझन में थे किसे टिकट दें वहीं दूसरी ओर शिवपाल और उनकी पत्नी सरला यादव से डिंपल यादव के संबंध मधुर हैं. ऐसे में डिंपल के नाम पर शिवपाल के लिए विरोध करना मुश्किल हो सकता है.

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