मैनपुरी. मैनपुरी उपचुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने जो संशय बनाया हुआ था, वो अब खत्म हो गया है और सपा ने मैनपुरी से डिंपल यादव को मैदान में उतार दिया है. सपा संरक्षक और संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद से ही सवाल उठने लगे थे कि अब मैनपुरी से उनकी जगह कौन कमान संभालेगा. डिंपल यादव के नाम को लेकर शुरू से ही कयास लगाए जा रहे थे लेकिन इसी के साथ तेज प्रताप के नाम की भी चर्चा थी, कहा जा रहा था कि तेज प्रताप को अखिलेश यादव प्रत्याशी बना सकते हैं. वहीं, दबे स्वर में शिवपाल यादव का भी नाम लिया जा रहा था लेकिन फिर तेज प्रताप का पलड़ा भारी होता गया, पर अंत में सपा ने डिंपल यादव के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया. और इससे ये सवाल उठने लगे कि अखिलेश की उस ‘कसम’ का क्या हुआ जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर भाजपा परिवार का मुद्दा उठाती है तो वो अपनी पत्नी को अगली बार मैदान में नहीं उतारेंगे, लेकिन डिंपल यादव उतरने से अखिलेश यादव की ये कसम टूट गई है.
दरअसल, बात साल 2017 की है जब समाजवादी पार्टी पर परिवारवाद के आरोप लग रहे थे, उस समय अखिलेश यादव से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि, ‘भाजपा में भी परिवारवाद है, पहले उन्हें अपने परिवारवाद को देखना चाहिए, बाद में हमें देखें. अपने परिवारवाद के बारे में कोई नहीं बोलता और अगर हमारे परिवारवाद के बारे में बात हो रही है तो हम तय करते हैं कि अगली बार हमारी पत्नी चुनाव नहीं लड़ेंगी.’ हालांकि बाद में अखिलेश की इस बात पर आलोचना हुई कि वह पुरुष सत्तात्मक समाज का प्रतीक हैं और अपनी पत्नी डिंपल यादव का राजनीतिक भविष्य खुद ही तय कर रहे हैं, जिसके बाद अखिलेश ने सफाई देते हुए कहा था कि यह उनका नहीं बल्कि डिंपल यादव का फैसला है.
बता दें, डिंपल के चुनाव मैदान में उतरने की चर्चा इस साल हुए आजमगढ़ के लोकसभा उपचुनाव के दौरान भी हुई थी तब जब लोगों ने अखिलेश से पूछा था कि क्या वो डिंपल यादव को आजमगढ़ से टिकट देंगे, इस पर अखिलेश ने कहा था, ‘अभी 2024 का चुनाव है और इस चुनाव में जिसे लड़ना होगा मैं उसे लड़ाऊंगा. अब इतने कम महीनों के चुनाव में क्यों मैं उन्हें चुनाव लड़वा दूं.’
अब मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर जब उम्मीदवारों के नाम पर अटकलें लगाई जा रही थी तब राजनीतिक पंडितों का कहना था कि डिंपल यादव इस चुनाव से दूरी बनाएंगी और उनके लिए बैकडोर से राज्यसभा पहुंचने की व्यवस्था की जाएगी, चूंकि धर्मेंद्र यादव हाल ही में आजमगढ़ उपचुनाव हारे थे तो उनके इतनी जल्दी दूसरे उपचुनाव में उतारने की भी गुंजाइश न के बराबर ही थी. इसके अलावा धर्मेंद्र यादव बदायूं की सीट नहीं छोडना चाहेंगे क्योंकि उन्होंने वहां बहुत समय दिया है.
इसके बाद दो ही नाम बचे थे एक तो तेज प्रताप यादव और दूसरा शिवपाल यादव. अब शिवपाल और अखिलेश के रिश्ते तो जग जाहिर थे, ऐसे में ये तो साफ़ था कि अखिलेश चाचा शिवपाल को किसी भी सूरत में यहाँ से प्रत्याशी नहीं बनाएंगे. हालांकि, चाचा ने अखिलेश को मनाने की बहुत कोशिश की थी, उन्होंने तो एक बार यहाँ तक कह दिया था कि अखिलेश में उन्हें मुलायम सिंह यादव की छवि दिखती है.
तेज प्रताप यादव का नाम प्रत्याशियों की लिस्ट में सबसे आगे था, वह मुलायम परिवार के ही सदस्य हैं और उनकी शादी लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी के साथ हुई है. तेज प्रताप मैनपुरी से पहले भी सांसद रह चुके हैं, बता दें 2014 को मोदी लहर में भी उन्होंने यहां से चुनाव लड़ते हुए अपने विरोधी को 3 लाख से ज्यादा मतों के अंतर से हराया भी था, तेज प्रताप के पिता रणवीर सिंह यादव राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय थे ऐसे में कयास लगाए जा रहे थे कि तेज प्रताप यादव को ही यहाँ से चुनाव लड़वाया जाएगा लेकिन फिर अखिलेश यादव ने डिंपल यादव के नाम की घोषणा कर सभी को चौंका दिया.
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