मुंबई, महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने सोमवार को विधानसभा में बहुमत हासिल कर ली है, पहली बार सीएम शिंदे ने विधानसभा के सदस्यों को संबोधित किया, लेकिन इस दौरान एक वाकये को याद कर एकनाथ शिंदे भावुक हो गए और रो पड़े. अपने संबोधन के दौरान शिंदे ने उस वाक्ये को याद किया, जब […]
मुंबई, महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने सोमवार को विधानसभा में बहुमत हासिल कर ली है, पहली बार सीएम शिंदे ने विधानसभा के सदस्यों को संबोधित किया, लेकिन इस दौरान एक वाकये को याद कर एकनाथ शिंदे भावुक हो गए और रो पड़े. अपने संबोधन के दौरान शिंदे ने उस वाक्ये को याद किया, जब उनकी आंखों के सामने बेटा-बेटी की डूबने से मौत हो गई थी. इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा में ये भी कहा कि मैं गद्दार नहीं हूं.
शिंदे विधानसभा में भाषण के दौरान बेहद भावुक हो उठे, उन्होंने याद किया कि कैसे उनके बच्चों की सतारा में डूबने से मौत हो गई थी और वे सार्वजनिक जीवन से पूरी तरह बाहर आ गए थे, लेकिन उन्होंने फिर से शिवसेना के लिए काम करना शुरू किया और संगठन में रहकर लोगों की सेवा की.
बता दें कि एक हादसे में एकनाथ शिंदे ने अपने 2 बच्चों को खो दिया था. उनका बेटा और बेटी उनकी आंखों के सामने ही सतारा में डूब गए थे. इस घटना के बाद से शिंदे एकांतप्रिय हो गए थे और उन्होंने राजनीति छोड़ दी थी. उस समय वह शिवसेना के पार्षद थे, लेकिन उनके गुरु आनंद दिघे उन्हें दोबारा सार्वजनिक जीवन में वापस लाए और उन्हें ठाणे नगर निगम में सदन का नेता बनाया.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विधानसभा में कहा कि भाजपा सरकार और बालासाहेब ठाकरे का सपना पूरा हो गया. पिछले 20 दिनों से सभी 50 विधायकों ने मुझ पर और मेरे फैसले पर विश्वास किया, मैं उन सभी का तहे दिल से धन्यवाद देता हूं. मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है कि मैं राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में आज यहाँ भाषण दे रहा हूं. यह घटना ऐतिहासिक है, क्योंकि हमने गठबंधन छोड़ने का साहस दिखाया.
शिंदे ने बताया कि अपने मिशन के लिए निकलने से एक दिन पहले वे परेशान थे. विधान परिषद के लिए मतदान के दिन उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया. सीएम ने भी उन्हें फोन किया और पूछा कि वे कहाँ जा रहे हैं? और वापस कब आएँगे, इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ नहीं पता, लेकिन बालासाहेब की सीख ने उन्हें वापस लड़ने की हिम्मत दी. शिंदे ने आगे कहा कि उन्हें उन 50 विधायकों पर गर्व है जिन्होंने उनका समर्थन किया. उन्होंने बताया कि उनसे किसी ने नहीं पूछा था कि वे कहां जा रहे हैं या एक बार सीएम से मिल लेना चाहिए. उन सभी ने देखा कि उनके साथ कैसा व्यवहार किया गया और सभी ने उसमें उनका साथ दिया.
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