महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर, स्पीकर के लिए महाविकास अघाड़ी ने उतारा प्रत्याशी

मुंबई, महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद अब विधानसभा स्पीकर पद पर नियुक्ति की कवायद की जा रही है, नंबरगेम में मात खा चुके महा विकास अघाड़ी ने विधानसभा स्पीकर पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सभी को चौका दिया. स्पीकर के पद के लिए जहाँ एनडीए की तरफ से भाजपा […]

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महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा उलटफेर, स्पीकर के लिए महाविकास अघाड़ी ने उतारा प्रत्याशी

Aanchal Pandey

  • July 2, 2022 2:54 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

मुंबई, महाराष्ट्र में सरकार बदलने के बाद अब विधानसभा स्पीकर पद पर नियुक्ति की कवायद की जा रही है, नंबरगेम में मात खा चुके महा विकास अघाड़ी ने विधानसभा स्पीकर पद के लिए अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर सभी को चौका दिया. स्पीकर के पद के लिए जहाँ एनडीए की तरफ से भाजपा विधायक राहुल नार्वेकर को उतारा गया तो उनके खिलाफ शिवसेना विधायक राजन साल्वी हैं. दोनों उम्मीदवारों ने अपना-अपना नामांकन दाखिल कर दिया है, 3 जुलाई यानी कल स्पीकर का चुनाव है.

विधानसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर MVA ने उठाए सवाल

महा विकास अघाड़ी ने विधानसभा स्पीकर के चुनाव को लेकर भी सवाल उठाए हैं, गठबंधन के नेताओं का कहना है कि मसला सुप्रीम कोर्ट में पेंडिग होने के बावजूद विधानसभा स्पीकर का चुनाव कैसे हो सकता है, इसे लेकर विधिमंडल के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर शिकायत भी की गई है.

बता दें कि महाराष्ट्र में स्पीकर का पद बीते दो सालों से खाली है. विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के पहले दिन 3 जुलाई को स्पीकर का चुनाव होना है, नाना पटोले के स्पीकर पद छोड़ने के बाद से स्पीकर का पद खाली है.

फडणवीस क्यों बने त्यागी ?

असल में देवेंद्र फडणवीस का यह गेमप्लान ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे’ की कहावत पर आधारित है, भाजपा ने यह दांव चलकर उद्धव ठाकरे से 2019 के ‘धोखे’ का बदला लिया है, भाजपा ने उस समय का बदला लिया है जब साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना ने पलटी मारते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. अजित पवार को तोड़कर फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें 24 घंटों के अंदर ही कुर्सी से उतरना पड़ा. अब फडणवीस ने ठाकरे का तख्तापलट करके वह बदला पूरा कर लिया है, लेकिन इस तख्तापलट के बाद फडणवीस को सीएम ना बनाकर भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सत्ता के लालच में उद्धव की सरकार नहीं गिराई गई है.

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