लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्य्क्ष अखिलेश यादव के बागी चाचा शिवपाल सिंह यादव की बीजेपी में जाने की अटकले सच होती हुई दिख रही है. कल 9 अप्रैल को एमएलसी चुनाव में वोट डालने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने टि्वटर अकाउंट में फेरबदल किया है. उन्होंने […]
लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्य्क्ष अखिलेश यादव के बागी चाचा शिवपाल सिंह यादव की बीजेपी में जाने की अटकले सच होती हुई दिख रही है. कल 9 अप्रैल को एमएलसी चुनाव में वोट डालने के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने अपने टि्वटर अकाउंट में फेरबदल किया है. उन्होंने अपने अकाउंट का कवर फोटो बदलते हुए लिखा- हैं तैयार हम.’ इस फोटो में किनारो पर हरे रंग की छोटी पट्टियां बनाई गई है.
शनिवार को सैफई में फर्रुखाबाद-इटावा में वोट डालने के बाद उन्होंने पत्रकारों के सवाल पर कहा कि यह तो नहीं बताया जा सकता कि मैंने किसको वोट दिया है लेकिन जिसको भी दिया है वो इस चुनाव को जरूर जीतेगा। इसके बाद पत्रकारों ने उनकी मुस्कुराहट को लेकर भी सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि जल्द आप सभी लोगों को सुखद सन्देश मिलेगा। लेकिन यह सन्देश क्या होगा? इसको लेकर सभी के दिमाग में कई तरह के प्रश्न उठ रहे है. पिछले कुछ दिनों से शिवपाल सिंह यादव बगावती भाषा बोल रहे है और कई बार वे संकेतिक भाषा में सपा प्रमुख को निशाने पर ले चुके है.
शिवपाल सिंह यादव की बीजेपी में जाने की खबरे हर तरफ सुर्ख़ियों में है. वे खुद इस बात से इंकार नहीं कर रहे है और न ही हामी भर रहे है. ऐसे में राजनीतिक पंडितो का मानना है कि कुंए में कही न कही धुवा उठ चुका है, जो अभी स्पष्ट तौर पर नहीं दिख रहा है. बता दें पिछले दिनों में शिवपाल सिंह यादव ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ और यूपी के पूर्व उप-मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को फॉलो कर चुके है और राम चरित्र की बाते करते हुए नजर आए है. शनिवार को उन्होंने अपने ट्विटर कवर फोटो बदलकर राजनीतिक गलियारों में और आग लगा दी है. शिवपाल सिंह यादव खुले तौर पर इस बात कि हामी नहीं भर रहे है कि वे भागी होकर किस पार्टी में जाएंगे या क्या बीजेपी उनका अगला ठिकाना होगी?. इस बार विधानसभा चुनाव से पहले शिवपाल सिंह यादव ने अपने भतीजे के साथ मिलकर चुनाव जीतने के वादा किया था, लेकिन 10 मार्च को आए परिणाम के बाद वे बागी भाषा बोलने लगे. बता दें उनके समर्थन में जो विधायक थे, वे पहले ही बीजेपी- कांग्रेस में शामिल हो गए है, जिनकी वापसी की राह अब बंद हो चुकी है.