नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्टपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. द्रौपदी मुर्मू […]
नई दिल्ली, आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू ने राष्टपति चुनाव में जीत हासिल कर इतिहास रच लिया है. द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति है, जबकि भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं. दिन भर वोटों की गिनती की गई, जिसमें द्रौपदी मुर्मू ने विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को हराकर जीत हासिल की. द्रौपदी मुर्मू को 5,77,777 वोट मिले हैं और देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बन गई हैं. बेहद गरीब और पिछड़े परिवार से आने वाली मुर्मू की जिंदगी में कई कठिनाई रही हैं, उन्होंने पांच साल के अंदर ही अपने दो जवान बेटों और पति को खो दिया, ये तो हुई उनके संघर्ष की बातें आइए आज आपको उनकी जिंदगी से जुड़े खूबसूरत पलों के बारे बताते हैं.
द्रौपदी मुर्मू की स्कूली शिक्षा गाँव में ही हुई, साल 1969 से 1973 तक वह आदिवासी आवासीय विद्यालय में पढ़ीं, इसके बाद स्नातक करने के लिए उन्होंने भुवनेश्वर के रामा देवी वुमंस कॉलेज में दाखिला लिया. मुर्मू अपने गांव की पहली लड़की थीं, जो स्नातक की पढ़ाई करने के बाद भुवनेश्वर तक पहुंची थी इससे पहले उनके बाद गाँव में किसी लड़की ने ये मुकाम हासिल नहीं किया था. कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात श्याम चरण मुर्मू से हुई, दोनों की मुलाकात बढ़ी, दोस्ती हुई, और दोस्ती प्यार में बदल गई. श्याम चरण भी उस वक्त भुवनेश्वर के एक कॉलेज से पढ़ाई कर रहे थे, कॉलेज के दिनों में ही दोनों को एक दूसरे से गहरी मोहब्बत हो गई थी.
बात साल 1980 की है, द्रौपदी और श्याम चरण दोनों एक दूसरे को पसंद करने लगे थे, और दोनों एक साथ आगे का जीवन व्यतीत करना चाहते थे. परिवार की रजामंदी के लिए श्याम चरण विवाह का प्रस्ताव लेकर द्रौपदी के घर पहुंच गए, श्याम चरण के कुछ रिश्तेदार द्रौपदी के गांव में ही रहते थे और ऐसे में अपनी बात रखने के लिए श्याम चरण अपने चाचा और रिश्तेदारों को लेकर द्रौपदी के घर गए थे.
तमाम कोशिशों के बावजूद द्रौपदी के पिता बिरंची नारायण टुडू ने इस रिश्ते से इनकार कर दिया. लेकिन श्याम चरण भी पीछे हटने वालों में से नहीं थे. उन्होंने तय कर लिया था कि अगर वह शादी करेंगे तो द्रौपदी से ही करेंगे, द्रौपदी ने भी घर में साफ कह दिया था कि अगर वह शादी करेंगी तो श्याम चरण से ही करेंगी. श्याम चरण ने तीन दिन तक द्रौपदी के गांव में ही डेरा डाला, थक हारकर द्रौपदी के पिता को इस रिश्ते के लिए रज़ामंदी देनी ही पड़ी.
श्याम और द्रौपदी की शादी के लिए द्रौपदी के पिता मान चुके थे, अब श्याम चरण और द्रौपदी के घरवाले दहेज की बातचीत करने बैठे. इसमें तय हुआ कि श्याम चरण के घर से द्रौपदी को एक गाय, एक बैल और 16 जोड़ी कपड़े दिए जाएंगे, दोनों के परिवार इस पर सहमत हो गए. दरअसल द्रौपदी जिस संथाल समुदाय से आती हैं, उसमें लड़की के घरवालों को दहेज़ नहीं देना पड़ता था बल्कि लड़के की तरफ से दहेज दिया जाता है.
द्रौपदी मुर्मू का ससुराल पहाड़पुर गांव में है, यहां उन्होंने अपने घर को ही स्कूल में बदल लिया है और इसका नाम श्याम लक्ष्मण शिपुन उच्चतर प्राथमिक विद्यालय रखा है. द्रौपदी ने अगस्त 2016 में अपने घर को स्कूल में तब्दील कर दिया था, हर साल द्रौपदी अपने बेटों और पति की पुण्यतिथि पर यहां जरूर आती हैं.
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