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लोकसभा चुनाव 2019: बिहार में रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा को पसंद नहीं अमित शाह का 20-20 फॉर्मूला

2019 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों को साधने में बीजेपी को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने जेडीयू, एलजेपी और रालोसपा के सामने सीट शेयरिंग का 20-20 फॉर्मूला पेश किया है. इस फॉर्मूल में रालोसपा को सबसे कम सीटें मिली हैं. बताया जा रहा है कि कम सीटों की वजह से उपेंद्र कुशवाहा ने अमित शाह का फॉर्मूला रिजेक्ट कर दिया है.

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Upendra kushwaha rejects BJP President Amit Shah’s 20-20 seat sharing formula
  • September 24, 2018 4:50 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 के लिए सिर्फ महागठबंधन के सामने ही साथी दलों को साधने की मुसीबतें नहीं हैं बल्कि एनडीए में भी कम दिक्कत नहीं आ रही है. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों को साधने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. पिछले दिनों नीतीश कुमार की जेडीयू राज्य में खुद को बड़ा भाई बताते हुए ज्यादा सीटें मांग रही थी. अब केंद्रीय मंत्री और रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के सीट बंटवारे से खुश नजर नहीं आ रहे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने बिहार मसीट शेयरिंग का 20-20 फॉर्मूला सामने रखा है जिसे उपेंद्र कुशवाहा ने मानने से इंकार कर दिया है. अमित शाह के 20-20 फॉर्मूले के मुताबिक राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से 20 सीट पर बीजेपी चुनाव लड़ेगी और बाकी 20 पर जेडीयू, रालोसपा और एलजेपी. अमित शाह ने एनडीए के सहयोगी दलों को 20 सीटों का बंटवारा इस प्रकार किया है- नीतीश कुमार की जेडीयू को 12, रामविलास पासवान की एलजेपी को 6 और उपेंद्र कुशवाहा की रालोसपा को 2 सीट.

मंगलवार को पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में उपेंद्र कुशवाहा ने इस फॉर्मूले पर खुलकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों में बड़ी बात कह गए. उन्होंने कहा कि मैं 20-20 फॉर्मूले को नहीं जानता. मैंने क्रिकेट नहीं बल्कि गिल्ली डंडा खेला है इसलिए 20-20 फॉर्मूले के बारे में जानकारी नहीं है. रालोसपा की तरफ से मंगलवार को पटना में पैगाम-ए-खीर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. इस कार्यक्रम में दलित, मुस्लिम, सवर्ण सहित सभी वर्गों के लोग एक साथ खाने बैठेंगे. इस कार्यक्रम के जरिए उपेंद्र कुशवाहा हर वर्ग को साधना चाहते हैं. इसके साथ ही केंद्र की सत्ताधारी बीजेपी को शक्ति दिखाने का मौका कुशवाहा के पास हो सकता है.

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