नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश की ज्यादातर राजनितिक दलों ने अपनी कमर कस ली है और पार्टी में कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारियां देने के साथ ही उनमें नया जोश भरने की भी तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की है। इस […]
नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव से पहले देश की ज्यादातर राजनितिक दलों ने अपनी कमर कस ली है और पार्टी में कार्यकर्ताओं को नई जिम्मेदारियां देने के साथ ही उनमें नया जोश भरने की भी तैयारी कर रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस ने अपनी नई कार्यकारिणी की घोषणा की है। इस बार कांग्रेस ने पार्टी में सबसे अधिक महत्व पिछड़ा वर्ग को दिया है। दरअसल यूपी कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित नई कार्यकारिणी की घोषणा कर दी गई है। जिसको लेकर कांग्रेस पर महिलाओं की उपेक्षा करने का आरोप लगने लगा है।
साल 2022 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं को प्राथमिकता देने और 33 फिसदी महिलाओं के आरक्षण की मांग उठाने वाली कांग्रेस पार्टी ने अपने ही संगठन में महिलाओं की उपेक्षा की है। कांग्रेस की तरफ से जारी की गई यूपी की नई कार्यकारिणी में कुल 130 पदाधिकारियों को शामिल किया गया है। इसमें हैरानी का बात यह है कि कांग्रेस ने इसमें केवल तीन महिलाओं को जगह दी है। कांग्रेस की नई प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल इन तीन महिलाओं में से सरिता पटेल महासचिव, अर्चना राठौर और पूर्वी वर्मा को सचिव की जिम्मेदारी दी गई है। वहीं एक भी महिला को कांग्रेस पार्टी ने उपाध्यक्ष नहीं बनाया है।
ऐसा माना जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले पिछड़े वर्ग के वोटबैंक को साधने के लिए कांग्रेस ने अपनी नई प्रदेश कार्यकारिणी में पिछड़े वर्ग पर खासा फोकस किया है। कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी में पिछड़े वर्ग के बाद दूसरे नंबर पर सामान्य वर्ग के 41 पदाधिकारी हैं। वहीं मुस्लिम वर्ग के 22 तथा दलित वर्ग के 23 लोगों को जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही कांग्रेस पार्टी ने अपनी नई प्रदेश कार्यकारिणी में युवा चेहरों पर दाव खेल रही है। कार्यकारिणी में 88 ऐसे नेताओं को शामिल किया गया है, जिनकी उम्र 50 साल से कम है।