देश में लोकसभा चुनाव का नतीजा 4 जून को आ गया है, जिसमें एनडीए गठबंधन 292 सीटों के साथ देश में सरकार बनानें का दावा जल्द ही कर सकता है. लेकिन दो उम्मीदवारों को इस चुनाव में जीतनें के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल 4 जून को ईवीएम की गिनती में […]
देश में लोकसभा चुनाव का नतीजा 4 जून को आ गया है, जिसमें एनडीए गठबंधन 292 सीटों के साथ देश में सरकार बनानें का दावा जल्द ही कर सकता है. लेकिन दो उम्मीदवारों को इस चुनाव में जीतनें के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है. दरअसल 4 जून को ईवीएम की गिनती में शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रत्याशी रवींद्र वायकर शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रत्याशी अमोल गजानन से हार गए थे. ठीक ऐसा ही कुछ हाल ओडिशा के बीजेपी प्रत्याशी के साथ हुआ जहां उसे बीजेडी प्रत्याशी सर्मिष्ठा सेठी से काउंटिंग में हारना पड़ा था. लेकिन बाद में हुई बैलेट पेपर की काउंटिंग में एनडीए के दोनों प्रत्याशियों को जीत मिली.
बता दें कि रवींद्र वायकर को 451094 वोट ईवीएम काउंटिंग में मिले थे और अमोल गजानन को 451095 में वोट मिले थे जिससे उद्धव गुट शिवसेना को इस सीट पर जीत मिली थी. लेकिन बाद में बैलेट पेपर की काउंटिंग में ये रिजल्ट पूरी तरह बदल गए. बैलेट पेपर की काउंटिंग में कीर्तिकर को कुल 1501 वोट मिले और वायकर को 1550 वोट मिले. जिससे वायकर के कुल वोट 452644 हो गए और उन्होंने सीट को 48 मतों के अंतर से प्रतिद्वंदी अमोल गजानन को हरा दिया.
ईवीएम की काउंटिंग के बाद बीजू जनता दल की प्रत्याशी सर्मिष्ठा सेठी अपने निकटतक प्रतिद्वंदी रवींद्र नारायण बेहरा से 496 वोटों से आगे थीं. लेकिन पोस्टल बैलेट में सेठी को 3224 वोट मिल पाए और रवींद्र बेहरा को 5280 वोट मिले. जिससे रवींद्र बेहरा को जीत मिल गई. और बीजू जनता दल के खाते में आने वाली एकमात्र लोकसभा सीट से हाथा धोना पड़ा है. जिसके साथ ही अब बीजेडी की लोकसभा में उपस्थिति 0 हो गई है.
डाक मतपत्रों या पोस्टल बैलेट से आमतौर पर ऐसा मतदाता वोटिंग करते हैं जो चुनाव के दौरान ड्यूटी पर होते हैं. जिसमें ज्यादातर सुरक्षाकर्मी, कैदी, शिक्षक समेत अन्य सरकारी पदों पर बैठे लोग इस वोटिंग प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं.