2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए उत्तर प्रदेश में चार राजनैतिक दलों ने साथ आने की योजना तैयार कर ली है. अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, मायावती की बहुजन समाज पार्टी, अजित सिंह की राष्ट्रीय लोकदल और राहुल गांधी की कांग्रेस साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, 80 सीटों वाले यूपी में बसपा को 40 सीटें, सपा और रालोद को 32 सीटें और कांग्रेस को 8 सीटें मिलेंगी.
लखनऊ: 2019 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने कमर कस ली है. सभी राज्यों में राजनैतिक पार्टियां चुनाव जीतने की रणनीति तैयार कर रही हैं. 80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश में भी विपक्षी दलों ने बीजेपी के विजय रथ को रोकने का फॉर्मूला तैयार कर लिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यूपी में समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ेंगी. सूत्रों की मानें तो चारों पार्टियों के बीच एक साथ चुनाव लड़ने को लेकर सहमति बन गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीटों के बंटवारे को लेकर अभी पूरी स्थिति साफ नहीं है लेकिन बताया जा रहा है कि मायावती की बसपा को सबसे ज्यादा 40 सीटें मिलेंगी. इसके बाद अखिलेश यादव की सपा और अजित सिंह की आरएलडी को 32 सीटें और कांग्रेस को 8 सीटें मिलेंगी. हालांकि अभी तक सीटों के इस तरह बंटवारे की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है. बताते चलें कि मायावती पहले ही कह चुकी हैं कि बसपा को सम्मानजनक सीटें मिलने पर ही वह गठबंधन पर हामी भरेंगी.
गौरतलब है कि सत्ता के गलियारों में हमेशा से यह बात कही जाती रही है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है. 80 सीटों वाले यूपी को जिसने जीत लिया उसे देश की राजनीति पर काबिज होने से कोई नहीं रोक सकता. 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस साल बीजेपी ने इतिहास रचते हुए यूपी की 80 में से 71 सीटों पर कब्जा जमाया था. 2 सीटों पर एनडीए के घटक दल ने कब्जा जमाया था. अन्य सीटों पर सपा और कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी.
2019 में बीजेपी के सामने खड़े होने और महागठबंधन को मजबूती देने के लिए बीजेपी के विरोधी दलों के नेता लगातार एक-दूसरे से मुलाकात कर रहे हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार दिल्ली के दौरे कर रही हैं तो तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव भी कुछ वक्त पहले ममता बनर्जी व अन्य नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं. एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार और बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी पिछले हफ्ते मुलाकात की थी.
आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू एनडीए से अलग हो चुके हैं तो शिवसेना भी 2019 के मैदान में अकेले उतरने का ऐलान कर चुकी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में भी विपक्षी एकता का नजारा देखने को मिला था. हाल ही में कांग्रेस की ओर से महिला पत्रकारों के लिए आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कह चुके हैं कि वह बीजेपी को हराने वाले किसी भी दल के साथ हैं. 2019 में वह किसी महिला नेता को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पीएम पद की कुर्सी छोड़ने को भी तैयार हैं. बहरहाल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी साफ कर चुके हैं कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में बीजेपी विकास के दम पर चुनावी मैदान में उतरेगी.